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इंजीनियर, अफसर बन रहे छात्र, गुरुजी संभाल रहे प्रबंधन, जानिए आखिर कैसे Amroha news

अमरोहा के एक गुरुजी ने भी कुछ ऐसा कर दिखाया। 33 वर्ष पूर्व उन्होंने एक कमरे से स्कूल की नींव डाली थी। आज वह कई कमरों में हो गया है। साथ ही बडी संख्‍या में बच्‍चे भी पढने लगे हैैै।

By Narendra KumarEdited By: Published: Sat, 07 Dec 2019 02:20 PM (IST)Updated: Sat, 07 Dec 2019 02:20 PM (IST)
इंजीनियर, अफसर बन रहे छात्र, गुरुजी संभाल रहे प्रबंधन, जानिए आखिर कैसे Amroha news
इंजीनियर, अफसर बन रहे छात्र, गुरुजी संभाल रहे प्रबंधन, जानिए आखिर कैसे Amroha news

मुरादाबाद । अमरोहा में शायद कुछ ही लोग होंगे जो करियर शुरू करते ही रिटायरमेंट प्लान करते हों। प्लान भी ऐसा जिसमें कोयले से तलाशकर हीरे को तराशने का उद्यम छिपा हो। अमरोहा के एक गुरुजी ने भी कुछ ऐसा कर दिखाया। 33 वर्ष पूर्व उन्होंने एक कमरे से स्कूल की नींव डाली थी। इसमें गरीब मगर मेधावी बच्चों की निश्शुल्क शिक्षा का प्रावधान किया था। सोच अच्छी थी और नीयत साफ। नतीजतन इस स्कूल से निकले कई छात्र आज इंजीनियर और अधिकारी हैं। नौ माह पूर्व अपने रिटायरमेंट के बाद से गुरुजी भी इस स्कूल में सेवारत हैं।

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सच पता चलने पर श्रद्धा से झुक जाता है स‍िर 

जिला मुख्यालय से करीब 25 किमी दूर गांव कमालपुर में चौ. ज्ञान प्रकाश इंटर कालेज है। पहली नजर में किसी व्यावसायिक शिक्षा का ही कालेज लगता है, पर जब सच पता चलता है तो श्रद्धा से सिर झुक जाता है, कालेज के सामने भी और गुरुजी के सामने भी। ये गुरुजी हैं सुरेंद्र स‍िंंंह चिकारा। इंटरमीडिएट कालेज जमनाखास में  ि‍प्रसिपल थे, बीते मार्च में वहां से रिटायर्ड होकर अपने कालेज में कार्यरत हो गए। इनके पास पुश्तैनी काफी जमीन जायदाद है। उन्होंने अपना धन और समय कालेज के लिए समर्पित कर दिया है। ताकि क्षेत्र की लड़कियां पढ़ सकें और गरीब लड़कों को अच्छी और सस्ती शिक्षा मिल सके।

कभी क‍िसी नेता से स्‍कूल के ल‍िए नहीं मांगी न‍िध‍ि 

धन कम पड़ता है तो अपने तीन भाइयों से मांग लेते हैं। उनके अलावा न तो कभी किसी नेता से निधि मांगी, न कोई चंदा लिया। क्योंकि वे बड़ा नहीं, अच्छा स्कूल क्षेत्र को देना चाहते थे और दे भी दिया, अपने भरोसे। स्कूल में निश्शुल्क शिक्षा लेकर निकले अमनदीप सेना में फ्लाइंग लेफ्टिनेंट हैं। इनके बड़े भाई बीडीओ हो गए। ऐसे ही कई अन्य हैं जो अलग-अलग क्षेत्र में सेवाएं दे रहे हैं। रिटायरमेंट के बाद गुरुजी ने सामाजिक जिम्मेदारी ले ली है। कहते हैं, अब ज्यादा अच्छा लग रहा है, यही तो मेरा रिटायरमेंट प्लान था।

शिक्षक भी पढ़ा रहे सेवार्थ

इस स्कूल के शिक्षक भी वेतन के लिए नहीं, सेवार्थ पढ़ा रहे हैं। सुरेंद्र बताते हैं कि वर्ष 1986 में एक कमरे से जब विद्यालय शुरू किया था तो उसकी कमान देवेंद्र ङ्क्षसह चौहान को सौंपी थी। आज यह स्कूल भव्य इंटर कालेज में तब्दील हो चुका है, मगर आज भी मामूली वेतन पर इसके ङ्क्षप्रसिपल देवेंद्र ही हैं। कक्षा में जाते व लौटते वक्त शिक्षक बाहर लगी संकल्प पट्टिका भी दोहराते हैं।


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