डॉ. कविता महिलाओं को दिखा रहीं खुशनुमा जीवन की राह Sambhal News
डॉ. कविता संस्था के माध्यम से गरीब परिवार की स्कूल न जाने वाली युवतियों दाखिला अपनी तरफ से कराकर शिक्षित बना रही हैं।
चन्दौसी (सचिन चौधरी): देश और समाज के लिए कुछ कर गुजरने का कुछ ही लोगों में होता है। वह अपने कामों से न केवल अपनी अलग पहचान बनाते हैं, बल्कि दूसरे के लिए उदाहरण भी बन जाते हैं और समाज में सुखद बदलाव की नींव भी रखते हैं। ऐसे की कुछ कर रही हैं चन्दौसी की आवास-विकास कालोनी निवासी डॉ. राकेश कुमार की पत्नी डॉ. कविता।
किराए से युवतियों के लिए खरीदती थीं किताबें
महिला सशक्तीकरण के लिए वह बचपन से ही जुटी हुई हैं। जब कविता कक्षा पांच में थीं, तब स्कूल जाने के लिए मिलने वाले किराए के रुपये से गरीब बच्चों के लिए किताबें खरीदतीं। वह स्कूल पैदल जाया करती थी। स्कूल जाने के लिए मिलने वाले किराए के रुपये से गरीब बच्चों को किताबें खरीदकर दिलातीं। शादी के बाद पति ने समाजसेवा के कार्यों से रोका, लेकिन किसी की परवाह किए बिना महिलाओं के जीवन में खुशियां भरने का कार्य जारी रखा। बाद में परिजनों को उनके फैसले का सम्मान करना पड़ा।
-निश्शुल्क अपने घर पर देती है सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण
घर पर ही बालिकाओं के साथ ही युवतियों और महिलाओं को कथक का प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया। इस समय वह निश्शुल्क एक हजार से अधिक महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई, नृत्य का प्रशिक्षण दे रही हैं। इतना ही नहीं वह ऐसी महिलाओं को चिह्नित कर रही हैं जिन्हें उनके पति ने मारपीट कर घर से निकाल दिया है। इन महिलाओं को मानसिक रूप से मजबूत कर रही हैं। उन महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई का प्रशिक्षण देकर हुनरमंद बना रही है। अब डॉ. कविता गुप्ता ने अखिल भारतीय वैश्य फाउंडेशन संस्था बनाकर महिलाओं को जोड़ा है। संस्था के माध्यम से गरीब परिवार की स्कूल न जाने वाली युवतियों दाखिला अपनी तरफ से कराकर शिक्षित बना रही हैं। इतना ही नहीं वह मानसिक के साथ बेटियों को शारीरिक रूप से मजबूत बनाने का भी प्रयास कर रही हैं। इसके लिए महिलाओं को खेल से जोडऩे की मुहिम के तहत चन्दौसी में एक मैराथन दौड़ भी करा चुकी हैं।
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