बिना वेंटीलेटर के ही महामारी से जंग लड़ रहा मुरादाबाद का जिला अस्पताल Moradabad News
73 लाख रुपये मिले सांसद और विधायक निधि से पर नहीं शुरू हुई सुविधा। मंडल मुख्यालय पर नहीं बनी कोरोना पैथलैब होती रही जगह की तलाश ।
मुरादाबाद,जेएनएन। कोविड 19 का संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है। लेकिन अब तक मंडल मुख्यालय पर कोरोना के नमूने की जांच के लिए न तो पैथलैब बन सकी और न ही जिला अस्पताल में वेंटीलेटर लग सका है। यह हालात तब हैं जब सांसद और विधायक निधि से 73 लाख रुपये महकमे को दिए जा चुके हैं।
आइसीएमआर की गाइडलाइन के मुताबिक अस्पतालों को सुविधाजनक बनाना है। स्वास्थ्य विभाग ने एल-1 और एल-2,3 श्रेणी के अस्पताल बनाए हैं। एल-1 महिला अस्पताल की नई बिल्डिंग में 70 बेड, एल-1 ए एशियन विवेकानंद अस्पताल के नर्सिंग कालेज हॉस्टल में 250 बेड की व्यवस्था की गई है। एल-2, 3 टीएमयू को बनाया है। यहां 400 बेड और 20 वेंटीलेटर हैं। लेकिन, जिला अस्पताल में अब तक वेंटीलेटर की सुविधा नहीं हो पाई है।
मौत पहले रिपोर्ट बाद में
सदर कोतवाली के मुहल्ला फीलखाना के 53 वर्षीय व्यक्ति को गंभीर हाल में टीएमयू में नौ मई को भर्ती करा सैंपल जांच के लिए भेज दिया। इसके बाद उनकी मौत हो गई। ऐसे ही चक्कर की मिलक के 73 वर्षीय बुजुर्ग की भी टीएमयू में मौत हो गई। वे संक्रमित थे। 13 मई को रिपोर्ट पॉजिटिव मिलने के बाद परिवार के लोगों के नमूने लिए गए। सवाल यह है कि यदि मुरादाबाद में लैब का निर्माण हो जाता तो जल्द रिजल्ट मिलने से विभाग बेहतर एक्शन ले सकता था लेकिन अब तक कोई प्रयास नहीं हो सके।
वाहन से भेजे जा रहे नमूने, मेल पर आ रही रिपोर्ट
स्वास्थ्य विभाग की एक टीम प्रतिदिन लखनऊ नमूने लेकर सुबह चार बजे रवाना होती है। नमूना मिलने के 48 घंटे बाद रिपेार्ट की उम्मीद की जाती है। कई नमूने तो खराब भी हो जाते है। वहां से पैथलैब प्रभारी द्वारा रिपोर्ट सीएमओ कार्यालय के मेल आइडी पर भेजी जा रही है।
निजी पैथलैब में 4500 रुपये
सरकार ने दो निजी पैथलैब को इजाजत दी है। इसमें एक पैथकाइंड है और दूसरी एसआरएल। यहां कोरोना की जांच के लिए 4500 सौ रुपये अदा करने होते हैं।
आइसीएमआर गाइडलाइन के मुताबिक ही मरीजों का रखरखाव किया जा रहा है। प्राइवेट अस्पतालों में वेंटीलेटर की व्यवस्था है। कोविड-19 जिला अस्पताल के लिए छह वेंटीलेटर का आर्डर दिया जा चुका है। दो वेंटीलेटर एक या दो दिन में हमें मिल जाएंगे।
डॉ एमसी गर्ग, मुख्य चिकित्सा अधिकारी