मुरादाबाद में रामगंगा नदी किनारे के 50 गांवों में बांस के पौधे लगाएगा प्रशासन
बाढ़ के दिनों में रामगंगा नदी का पानी काफियाबादभीकनपुर के अलावा सुरजनगर से सुल्तानपुर पट्टी तक पहुंच जाता है। इसके अलावा शहर के करीब रामगंगा नदी किनारे बसे ताजपुर और रसूलपुर गांव को भी बाढ़ का पानी घेर लेता है।
मुरादाबाद जेएनएन। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत रामगंगा किनारे बसे 50 गांवों में जिला प्रशासन बांस लगाएगा। इसके लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है। इससे लोगों को रोजगार मिलने के साथ सरकार को बांस की खेती से लाभ होगा। इससे बाढ़ का प्रभाव भी कम होगा। वृह्द अभियान चलाकर बांस के पौधों की रोपाई होनी है। इसके लिए वन, उद्यान विभाग और ग्राम पंचायत विभाग के अधिकारियों को लगाया जा रहा है।
बाढ़ के दिनों में रामगंगा नदी का पानी काफियाबाद,भीकनपुर के अलावा सुरजनगर से सुल्तानपुर पट्टी तक पहुंच जाता है। इसके अलावा शहर के करीब रामगंगा नदी किनारे बसे ताजपुर और रसूलपुर गांव को भी बाढ़ का पानी घेर लेता है। डिलारी रोड पर इस्लामनगर से घोंघरपुर जाने वाले मार्ग पर भी बाढ़ में पानी ही पानी नजर आता है। इस तरह रामगंगा नदी किनारे बसे करीब 50 गांव ऐसे हैं, जहां बाढ़ से नुकसान होने का खतरा बना रहता है। जिला प्रशासन ने नए साल में रामगंगा किनारे बसे इन गांवों के किनारे बांस लगाने की योजना बनाई है। सीडीओ आनंद वर्धन ने बताया कि मनरेगा के तहत बांस लगाए जाएंगे। इसके अलावा गागन नदी के किनारों पर भी बांस लगवाने का प्रयास होगा। इस योजना के तहत जहां एक तरफ बाढ़ के प्रभाव को कम किया जा सकेगा वहीं, लोगों को रोजगार भी मिलेगा। साथ ही बांस के पेड़ बड़े होने पर प्रशासन को आमदनी भी होगी।
खादर के लोगों को मिलेगी राहत
रामगंगा किनारे बांस कलगने से खादर के सैकड़ों गांवों को राहत मिलने की उम्मीद है। कार्ययोजना को मंजूरी मिलते ही अगले माह से काम शुरू होगा। बांस की जड़ें बहुत गहरी होती हैं, जो रामगंगा नदी के उफनाने पर पानी के तेज बहाव को रोकने का काम करेंगी। खादर के जितने भी गांव बाढ़ से प्रभावित होते हैं, सभी की फसलों को इसका लाभ मिलेगा। पानी का बहाव तेज न होने पर फसलों को नुकसान कम होगा।