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राममंदिर आंदोलन में मुरादाबाद के दिनेश त्यागी ने भी फूंकी थी जान

Ram temple movement राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन से तय हुआ मंदिर निर्माण का रास्ता। दिनेश चंद्र त्यागी बोले सोमनाथ मंदिर निर्माण से मिली थी प्रेरणा।

By Narendra KumarEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 12:35 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 12:35 PM (IST)
राममंदिर आंदोलन में मुरादाबाद के दिनेश त्यागी ने भी फूंकी थी जान
राममंदिर आंदोलन में मुरादाबाद के दिनेश त्यागी ने भी फूंकी थी जान

मुरादाबाद, जेएनएन। राममंदिर आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले दिनेश चंद्र त्यागी आज कहीं बेशक दिखाई न दे रहे हों, पर उनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता। संघ के पूर्व प्रचारक और हिंदू जागरण मंच के पश्चिम प्रांत के संयोजक रहे दिनेश चंद्र त्यागी का दावा है कि उनके द्वारा शुरू किए गए राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन की आवाज को उन्होंने कांग्रेस के नेताओं के माध्यम से भी उठवा दिया था। अयोध्या, काशी और मथुरा में मंदिर स्थल हिंदुओं को दिए जाने का प्रस्ताव भी पारित हुआ था। विभिन्न चरणों में चले अभियान ने आंदोलन का रूप लिया और अब मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन होने जा रहा है।

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मंदिर निर्माण और उससे जुडे आंदोलन के बारे में चर्चा करते हुए दिनेश चंद्र त्यागी बताते हैं कि जब मैं संघ से जुड़ा था, तब सोमनाथ मंदिर निर्माण के बारे में पढ़ा था। तब मन में विचार आया कि सबसे बडे आस्था के केंद्र अयोध्या में राम मंदिर, मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और काशी विश्वनाथ मंदिर भी उसी स्थिति में हैं। यहां भी मंदिर बनने चाहिए, ऐसा विचार आया।

हिंदू सम्मेलन से उठी मांग

त्यागी बताते हैं कि विभाग प्रचारक और हिंदू जागरण मंच के लिए कार्य करते हुए हिंदू सम्मेलनों का आयोजन शुरू किया। मुरादाबाद में 1982 में आयोजित सम्मेलन में रामजन्म भूमि मुक्ति की मांग उठाई गई। इसके बाद 1983 में मुजफ्फरनगर जो हिंदू सम्मेलन हुआ, उसमें एक लाख से अधिक लोग ने उपस्थिति दर्ज कराई। मोरारजी देसाई सहित कांग्रेस, भाजपा सहित अन्य दलों के के बडे नेता शामिल हुए। इसमें मुरादाबाद से सांसद रहे कुंवर सर्वेश सिंह के पिता रामपाल सिंह और कैबिनेट मंत्री दयाल खन्ना ने अयोध्या, काशी और मथुरा हिंदुओं को दिए जाने का प्रस्ताव रखा। इस बात पर मोरारजी देसाई ने नाराजगी जताई थी। उसके डेढ़ साल बाद दिल्ली के रामलीला मैदान में हुए हिंदू सम्मेलन में हर बडे नेता की मौजूदगी में यही प्रस्ताव सर्वसम्मति से रखा गया और यहीं से यह राष्ट्रीय मुद्दा बन गया। बाद में अशोक सिंघल इस मुहिम से जुड़ गए और इसे आंदोलन में तब्दील कर दिया। कारसेवा हुई और उसमें विवाहित ढांचा ढहा दिया गया, और यह प्रकरण अदालत पहुंच गया। उनका दावा है कि कोर्ट का जो नौ हजार पेज का आदेश आया उसमें से तीन हजार पेज का मेटर वही है जो अदालत में मैंने पेश किया था।

संतोष है कि मंदिर बनने जा रहा है

खुशी होती है कि एक छोटी सी मुहिम आंदोलन बनी और जीत हासिल हुई। अब मंदिर निर्माण शुरू होने जा रहा है तो इससे ज्यादा खुशी की ओर बात हो ही नहीं सकती। 


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