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Dev Deepawali 2021 : कार्तिक पूर्णिमा पर पृथ्वी पर आएंगे देव, जान‍िए इस खास द‍िन पर क्‍या करना होगा शुभकारी

Dev Deepawali 2021 देव दीपावली पर उपवास रखकर शिव जी की पूजा करके फल वस्त्र दान करने से लाभ होता है। शिव ही आदि गुरु हैं इसलिए इस दिन रात्रि जागरण करके शिव जी की उपासना करने से गुरु की कृपा प्राप्त होती है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Thu, 18 Nov 2021 02:27 PM (IST)Updated: Thu, 18 Nov 2021 02:27 PM (IST)
Dev Deepawali 2021 : कार्तिक पूर्णिमा पर पृथ्वी पर आएंगे देव, जान‍िए इस खास द‍िन पर क्‍या करना होगा शुभकारी
दैनिक जागरण की ओर से देव दीपावली के तहत जलाए जाएंगे दीप।

मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। Dev Deepawali 2021 : कार्तिक पूर्णिमा पर 19 नवंबर को देव दीपावली का पर्व मनाया जाएगा। मान्यता है कि इस दिन स्वर्गलोक से देवता पृथ्वी पर आते हैं। इस कारण देव दीपावली मनाने की सनातनी परंपरा चली आ रही है। मुरादाबाद के वार्ड 45 में रामगंगा घाट पर स्थित गंगा मंदिर गुलाबबाड़ी में देव दीपावली का पर्व मनाया जाएगा। देव दीपावली के अवसर पर दैनिक जागरण की ओर से सूर्य अस्त पर गंगा मंदिर गुलाबबाड़ी के रामगंगा घाट (अटल घाट) पर दीपक जलाए जाएंगे। इसमें शहर के सामाजिक, धार्मिक और आम लोग दीपदान करेंगे। वहीं दूसरी ओर इस खास द‍िन पर कुछ व‍िशेष कार्य भी क‍िए जाते हैं, ऐसा करना शुभकारी माना जाता है।

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देव दीपावली के दिन नदियों के किनारे दीपक जलाने से ईश्वर की कृपा बनी रहती है। दीप जलाकर देवाें को प्रसन्न करते हैं और शारीरिक, मानसिक रूप से स्वस्थ रहने की कामना करते हैं। साथ ही आर्थिक समस्या से भी मुक्ति मिलती है। इस बार दैनिक जागरण की ओर से आयोजित देव दीपावली कार्यक्रम में लोग जुटेंगे। शहर के धर्म गुरु, सामाजिक संगठन, अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद, पार्षद, शिक्षक, सिविल डिफेंस समेत तमाम लोग देव दीपावली पर गुलाबबाड़ी स्थित गंगा मंदिर पर दीपक जलाने को उमड़ेंगे। इसको लेकर संगठनों ने तैयारी शुरू कर दी है। 

देव दीपावली पर करें ये कार्य : देव दीपावली के दिन नदी के जल से स्नान करके दीपदान करना चाहिए। ये दीपदान नदी के किनारे किया जाता है। यह पर्व पूरे देश में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन शिव जी ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था और विष्णु जी ने मत्स्य अवतार भी लिया था। इसलिए इसे देव दीपावली के रूप में मनाया जाता है।  गंगा नदी अथवा अन्य किसी नदी के जल से स्नान करके दीपदान करना शुभकारी है। इस पर्व पर व‍िभिन्न नदियों अथवा गंगा किनारे बड़े स्तर पर दीपदान किया जाता है। 

देवताओं ने जलाए थे दीप : ऐसी मान्यता है कि कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था। इस खुशी में देवताओं ने काशी में अनेकों दीए जलाए, यही कारण है कि आज भी हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा पर काशी समेत अन्‍य जगहों पर देव दीपावली मनाई जाती है। 

भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व : ज्योतिषाचार्य  पं ऋषिकेश शुक्ल ने बताया क‍ि चूंकि भगवान शिव ने इस दिन त्रिपुरासुर का वध किया था इसलिए इस दिन को 'त्रिपुरी पूर्णिमा' भी कहा जाता है। शिव जी की विशेष पूजा से इस दिन सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, इस दिन उपवास रखकर शिव जी की पूजा करके, फल वस्त्र दान करने से लाभ होता है। शिव ही आदि गुरु हैं, इसलिए इस दिन रात्रि जागरण करके शिव जी की उपासना करने से गुरु की कृपा प्राप्त होती है। जीवन में गलतियों के प्रायश्चित के लिए भी इस दिन शिव जी की पूजा की जाती है.


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