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आनलाइन ठगी करने वाली महिला गिरफ्तार, जानें कैसे बनाती थी शिकार, मुरादाबाद पुलिस ने तीन साथियों को भी पकड़ा

Moradabad Cyber Crime पुलिस ने शनिवार को आनलाइन ठगी करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है। गिरोह के सदस्य खुद को स्वास्थ्य विभाग का कर्मचारी बताने के साथ ठगी करते थे। पुलिस ने महिला समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 10:58 AM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 10:58 AM (IST)
आनलाइन ठगी करने वाली महिला गिरफ्तार, जानें कैसे बनाती थी शिकार, मुरादाबाद पुलिस ने तीन साथियों को भी पकड़ा
आयुर्वेद कंपनी के नाम पर करते थे आनलाइन ठगी, शिकायत पर हुई कार्रवाई

मुरादाबाद, जेएनएन। Moradabad Cyber Crime : आनलाइन पैसा भेजने से पहले किसी भी कंपनी के बारे में पूरी जानकारी कर लें। अगर आपने ऐसा नहीं किया तो ठगी के शिकार हो जाएंगे। पुलिस ने शनिवार को ऐसे ही एक गिरोह का पर्दाफाश किया है। गिरोह के सदस्य खुद को स्वास्थ्य विभाग का कर्मचारी बताने के साथ ही आयुर्वेद दवाओं के नाम पर ठगी करते थे। पुलिस ने महिला समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है।

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इनके पास से आयुर्वेद से जुड़ी सामग्री भी बरामद की है।छजलैट थाना क्षेत्र के गांव शाहपुर मुबारकपुर के रहने वाले रियाजुद्दीन ने 19 जनवरी को थाने में जीवन आयुर्वेदा कंपनी के नाम पर 1,16000 की ठगी की शिकायत थाने में की थी। इसके बाद पुलिस ने साइबर ठगों को पकड़ने के लिए पड़ाताल शुरू कर दी थी। छजलैट थाने के उप निरीक्षक अमित कुमार, आरक्षी मारकोनी, हैप्पी, प्रशांत कुमार, ठाकुरद्वारा उपनिरीक्षक नितिन कुमार, कांस्टेबल अफसर अली, हिना शर्मा, निशा कुमारी उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर गद्दरपुर संजय नगर के विशाल राय, मिथुनवाला, शाहजहांपुर चारखंभा कोतवाली के बखसारिया का मुदित अग्निहोत्री, उत्तराखंड जिला नैनीताल के रामनगर पांडेय कालोनी की प्रियंका को गिरफ्तार किया गया।

नोएडा के गौतमबुद्ध नगर सेक्टर 66 गली नंबर दो का रहने वाला वरुण फरार है। पुलिस ने इनके पास से 29 मोबाइल, रोलर, 949 दवा की डिब्बी, चार पालीथिन के बंडल, 40 दवा के पार्सल, 12 रेपर के पैकेट, काल रिकार्ड से संबंधित कागजात और एक प्रिंटर बरामद किया है। यह सभी उत्तराखंड में फर्जी काल सेंटर चलाते हुए पकड़े गए हैं। पूछताछ में बताया गया कि गिरोह का मुख्य साथी वरुण उन्हें डाटा उपलब्ध कराता था। जिसमें मोबाइल नंबर व नाम लिखे होते थे।

काल करके बोलते थे कि हम स्वास्थ्य विभाग से बोल रहे हैं। इसके बाद वह अपनी दवा के बारे में बताते थे। दवा दो हजार से 30 हजार रुपये तक बेचते थे। तीन माह बाद फीडबैक लेने के लिए काल करते थे। दवा का पैसा रिफंड करने के नाम पर भी पैसा ठग लेते थे।


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