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नगर निगम से बने फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्रों पर करोड़ों रुपये का बीमा क्लेम

मुरादाबाद : फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर बीमा क्लेम हड़पने का खेल एक बार फिर सामने आया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 10 Oct 2018 08:15 AM (IST)Updated: Wed, 10 Oct 2018 08:15 AM (IST)
नगर निगम से बने फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्रों पर करोड़ों रुपये का बीमा क्लेम
नगर निगम से बने फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्रों पर करोड़ों रुपये का बीमा क्लेम

मुरादाबाद : फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर बीमा क्लेम हड़पने का खेल एक बार फिर सामने आया है। जिला प्रशासन ने शिकायत मिलने के बाद इसकी जांच शुरू करा दी है। हालांकि, अभी क्लेम नहीं मिल पाए हैं। प्रथमदृष्टया जांच में फर्जीवाड़ा सामने आ रहा है और माफिया गैंग के इसमें शामिल होने की बात सामने आ रही है। इसमें कार्रवाई भी तय है। जांच में नगर निगम से नियमों को ताक पर रखकर जारी हुए मृत्यु प्रमाण पत्रों के दो दर्जन से अधिक मामले पकड़ में आ चुके हैं। अभी जांच चल रही है, तय है कि इनकी संख्या सैकड़ों तक जा सकती है। लाकड़ी फाजलपुर वार्ड-4 में प्रमाण पत्रों की जांच होने पर पार्षद प्रतिनिधि विनोद कुमार ने इस मामले को उठाया। पार्षद रजनी इस मामले से जुड़े दस्तावेज लेकर महापौर कैंप कार्यालय पहुंचीं। हालांकि इस संबंध में उनकी महापौर और अधिकारियों से मुलाकात नहीं हो पाई है। परिजनों ने जानकारी से किया इन्कार

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लाकड़ी फाजलपुर निवासी सोनिका की मौत जनवरी 2018 में हो गई थी। उसके नाम से मई 2018 में बीमा कराया गया। और अगस्त में नगर निगम से उसके नाम का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया। एजेंट ने बीमा कंपनी पर 16 लाख रुपये का क्लेम किया है। जबकि, उसके परिजनों ने भी इस बारे में किसी प्रकार की जानकारी होने से इन्कार किया है। बीमा कंपनी की ओर से कराई गई जांच में उन्होंने बताया कि न तो बीमा कराया और न ही कोई क्लेम किया है। चल रही है जांच

लाकड़ी फाजलपुर निवासी हामिद हुसैन की 30 साल पहले मौत हो गई थी, उनके नाम पर भी बीमा करा लिया गया। इसके बाद नगर निगम से मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया और 26 अगस्त 2017 को प्रमाण पत्र जारी हो गया। इसमें उनकी मृत्यु की तिथि 17 अगस्त 2017 दिखाई गई है। क्लेम करने के कारण इसकी भी जांच चल रही है। दस साल पहले हो चुकी है मौत

लाकड़ी फाजलपुर के ही रंजीत की मौत करीब दस साल पहले हो चुकी है। परिजनों ने उसका मृत्यु प्रमाण पत्र भी नहीं बनवाया था। उसके नाम पर 16 फरवरी 2016 को मेरठ नगर निगम से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कराया गया है। इससे पहले मुरादाबाद नगर निगम से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कराकर बीमा क्लेम लिया जा चुका है। इसी प्रकार से प्रेम सिंह की भी मौत आठ साल पहले हुई थी। अब उनकी मृत्यु से चार सितंबर 2017 दिखाकर पांच अक्टूबर 2017 को प्रमाण पत्र जारी करा लिया गया है। जिंदा व्यक्ति के नाम पर जारी हुआ मृत्यु प्रमाण पत्र

लाकड़ी फाजलपुर में संजीव पत्नी और बच्चों के साथ रहता है। वह राज मिस्त्री का काम करता है। नगर निगम से उसकी मृत्यु का प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया है। इसके बाद पारिवारिक लाभ योजना के तहत आवेदन किया गया। जांच के लिए लेखपाल जब उनके घर पहुंचे तो मामला खुलकर सामने आया। पत्नी सोनवती ने बताया कि न तो उन्होंने और न उनके पति ने मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था। उनके पति जिंदा है और ससुराल में रहकर काम कर रहे हैं। गांव के ही एक बीमा एजेंट ने आकर उनसे योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए फार्म भरवाया था। मृत्यु से पहले ही जारी कर दिया प्रमाण पत्र

फर्जीवाड़े के खेल में नियमों को ताक पर रखा गया है। एक रोचक मामला यह भी है कि एक वृद्ध के नाम से मृत्यु प्रमाण पत्र उसकी मृत्यु से पहले की तिथि में जारी किया गया। लाकड़ी निवासी जुम्मा का मृत्यु प्रमाण पत्र 18 फरवरी 2018 को जारी किया गया। जबकि प्रमाण पत्र में मृत्यु की तिथि 21 फरवरी 2017 लिखी हुई है। इससे साफ है कि मोटे पैसे के खेल में माफिया की ओर से भेजे जाने वाले आवेदनों पर आंख बंद करके मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं। जिलाधिकारी के आदेश पर बीमा क्लेम के लिए जांच की गई थी। इसमें प्रमाण पत्रों के फर्जी तरीके से जारी होने की जानकारी मिली है।

-हिमांचल, लेखपाल। बोर्ड बैठक में भी उठा था मुद्दा

फर्जी तरीके से जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होने का मुद्दा पिछली बोर्ड बैठक में भी उठा था। इस मुद्दे को लेकर पार्षदों ने खूब शोर-शराबा किया था, तब उन्हें इस मामले में जांच कराने का आश्वासन देकर शांत कराया गया था। लेकिन, अभी तक इस प्रकरण में न जो जांच कराई जा रही है और न कोई कार्रवाई हुई है। पहले भी पकड़ा गया था रैकेट

मुरादाबाद में करीब तीन साल पहले भी फर्जी तरीके से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर करोड़ों रुपये के क्लेम वसूले जाने के मामले पकड़े गए थे। इस मामले में कई लोगों पर एफआइआर दर्ज कराई गई थी। कई बीमा अफसरों पर भी कार्रवाई हुई थी। उस समय जांच में तीन सौ से ज्यादा मामले ऐसे मिले थे, जिनमें फर्जी तरीके से प्रमाण पत्र लगाकर क्लेम लिए गए थे। की जाएगी कार्रवाई : जिलाधिकारी

इस मामले में जांच हो रही है, जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी।

-राकेश कुमार सिंह, जिलाधिकारी।


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