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खाते में पड़ी रही कंपोजिट ग्रांट, प्रधानाचार्य लिखते रहे पत्र, स्‍कूल का छज्‍जा गिरा और चली गई बच्‍चे की जान

प्राथमिक विद्यालय मेंदनीपुर में जर्जर छज्जे गिरने से बच्‍चे की मौत के बाद कई चौंकाने वाली बातें सामने आ रहीं हैं। बीएसए ने कंपोजिट ग्रांट की पूरी जानकारी तलब की है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Wed, 09 Sep 2020 04:10 PM (IST)Updated: Wed, 09 Sep 2020 04:10 PM (IST)
खाते में पड़ी रही कंपोजिट ग्रांट, प्रधानाचार्य लिखते रहे पत्र, स्‍कूल का छज्‍जा गिरा और चली गई बच्‍चे की जान
खाते में पड़ी रही कंपोजिट ग्रांट, प्रधानाचार्य लिखते रहे पत्र, स्‍कूल का छज्‍जा गिरा और चली गई बच्‍चे की जान

मुरादाबाद, जेएनएन। प्राथमिक विद्यालय मेंदनीपुर में बच्चे की मौत के बाद अब नया मामला सामने आ रहा है। आरोप है कि शासन की ओर से भेजी गई कंपोजिट ग्रांट का एक भी पैसा प्रधानाध्यापक ने मरम्मत में नहीं खर्च नहीं किया। इसके बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी ने विद्यालय की कंपोजिट ग्रांट की जानकारी तलब कर ली है और खाते की भी लेनदेन का भी रिकार्ड मांगा है। बेसिक शिक्षा अधिकारी का कहना है कि कंपोजिट ग्रांट कितनी खर्च हुई, इसकी जानकारी बैंक डिटेल आने के बाद ही पता लगेगी।

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बच्चे की मौत के बाद विद्यालय के प्रधानाचार्य ने आरोप लगाया था कि उन्होंने लगातार जर्जर इमारत की मरम्मत के लिए विभाग को पत्र लिखे थे। लेकिन, कोई कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी। जबकि, विभागीय अधिकारी ऐसे किसी भी पत्र की जानकारी से इन्कार करते रहे। अब सामने आ रहा है कि विद्यालय में मरम्मत व अन्य कार्यों के लिए दी जाने वाली कंपोजिट ग्रांट को ही प्रधानाचार्य ने नहीं निकाली और विभाग को पत्र लिखते रहे। बेसिक शिक्षा अधिकारी योगेंद्र कुमार के मुताबिक आरोप है कि पिछले दो साल से विद्यालय को मिली 25-25 हजार की कंपोजिट ग्रांट पूरी खाते में ही पड़ी रही। हालांकि, उन्होंने इस मामले में बैंक डिटेल आने के बाद ही कार्रवाई करने की बात कही है। प्रधानाचार्य को दिया गया दो दिन का समय इधर, विभाग को लगातार पत्र लिखे जाने के मामले में बेसिक शिक्षा अधिकारी ने प्रधानाचार्य अंशुल गुप्ता को दो दिन का समय दिया है। बीएसए ने बताया कि अगर प्रधानाचार्य ने मरम्मत के लिए लगातार पत्र लिखे हैं तो वह उन पत्रों की रिसीविंग विभाग को उपलब्ध कराएं। इसके बाद जिस स्तर पर लापरवाही हुई होगी कार्रवाई की जाएगी। वहीं खंड शिक्षा अधिकारी प्रेमसुख गंगवार का कहना है कि प्रधानाचार्य जिस पत्र की बात कर रहे हैं वह 2017 का है और उस पर विभाग की रिसीविंग भी नहीं है।


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