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स्वच्छता सर्वेक्षण ने उड़ाई नगर निगम की नींद Moradabad News

सर्वेक्षण टीम को ताला लगा नहीं मिलने पर अंक बढऩे के लिए लगाए जा रहे आसार। नगर निगम के वाहन नहीं उठा रहे कूड़ा।

By Narendra KumarEdited By: Published: Fri, 10 Jan 2020 10:05 AM (IST)Updated: Fri, 10 Jan 2020 06:55 PM (IST)
स्वच्छता सर्वेक्षण ने उड़ाई नगर निगम की नींद  Moradabad News
स्वच्छता सर्वेक्षण ने उड़ाई नगर निगम की नींद Moradabad News

मुरादाबाद (तेजप्रकाश सैनी)। सपना वो नहीं होता, जो आप नींद में देखते हैं। सपना वो है जो आपको सोने नहीं देता। ऐसा ही कुछ हाल नगर निगम में नगर आयुक्त का है। रैंकिंग के निर्धारित अंक जुटाने के लिए दिन सफाई व्यवस्था और संसाधनों की समीक्षा में गुजर रहा है। स्वच्छता संदेश के होर्डिंग्स, नुक्कड़ नाटक, कार्यशाला, हैंगिंग कूड़ेदान, स्वच्छता पर प्रतियोगिता, गमले, तिरंगा लाइट और न जाने क्या-क्या? तीन सालों से रैंकिंग में जहां वे पिछड़ रहे थे, वहां उनकी कोशिश रंग नहीं लाई। इससे उनकी नींद उड़ी हुई है। अब करें भी क्या? पांच साल से बंद पड़े सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट को चलाने के लिए शासन से तीन करोड़ रुपये मांगे थे, जो नहीं मिले। जनवरी में स्वच्छता सर्वेक्षण शुरू होते देख अब वे कूड़े के पहाड़ को खिसकवा रहे हैं, ताकि सर्वेक्षण टीम को प्लांट का ताला न लगा मिले और कुछ अंक तो मिल जाएं।

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कूड़ा नहीं उठाएंगे

गलियों में जाएंगे लेकिन, कूड़ा नहीं उठाएंगे। यह हाल नगर निगम के गाना बजाकर कूड़ा उठाने वाले वाहनों का है। प्रतिदिन वाहन घूमते दिखाई दे जाएंगे लेकिन, ये कूड़ा फैक्ट्टियों, रेस्टोरेंट व होटल वालों का लेते हैं। आम आदमी के घर के बराबर में तो खाली प्लाट कूड़ाघर बन जाए, उनकी बला से। गली मुहल्लों से आवाज उठने लगी है कि निगम की बोर्ड बैठक में नगर आयुक्त साहब आप ही ने कहा था कि हर 15 दिन में कूड़ा उठेगा, यहां कूड़ा उठ ही नहीं रहा है। छोटे साहब तो अगंभीर हैं। आपकी तो पार्षद भी मानते हैं। कूड़ा उठवा दोगे तो स्वच्छता टीम फीड बैक लेने आएगी तो गुणगान कर देंगे। सरकार आम जनता की है तो जनता की भी तो सुनी ही जानी चाहिए। अगर नहीं करा पाए तो बोर्ड की मिनट बुक से कम से कम यह प्रस्ताव हटवा दीजिए।

स्वच्छता में पुरस्कार की चुनौती 

नगर निगम में जिन पर पूरे शहर की सफाई का जिम्मा है, वे इसके लिए गंभीर नहीं दिखते हैं। उनका जैसा नाम, वैसा काम धरातल पर ज्यादा दिखाई नहीं देता है। हालांकि उनको पुरस्कार मिल रहे हैं लेकिन, शिक्षा की अलख जगाने के लिए। गरीबों के बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोडऩे व नौकरी की तैयारी कर रहे युवाओं को निश्शुल्क कोचिंग देने का प्रयास कर रहे हैं। 15 दिन में दो पुरस्कार हासिल कर चुके हैं और तीसरा भी मिलने वाला है। उनके पास जिसकी जिम्मेदारी है। उसके लिए पुरस्कार जीतना चुनौती से कम नहीं है। आखिर, स्वच्छता सर्वेक्षण की टीम को फीड बैक तो जनता ही देगी। काम में गंभीर होंगे तो स्वच्छता में तो पुरस्कार मिल ही जाएगा। धरातल पर आपको स्वच्छता भी लानी होगी। जिस कुर्सी पर बैठे हैं, उसके लिए स्वच्छता का पुरस्कार ज्यादा मायने रखता है।

माननीय का रसूक 

इसे कहते हैं, जनप्रतिनिधि का रसूख। कुछ रोज पहले अतिक्रमण हटाने के दौरान नगर निगम की टीम लोगों को धमका रही थी। डॉक्टर साहब जुर्माने का चेक हाथ में लिए अपना जेनरेटर छुड़ाने की गुहार लगा रहे थे लेकिन, नगर विधायक के पहुंचते ही राजस्व निरीक्षक से लेकर मुख्य कर निर्धारण अधिकारी की स्थिति भीगी बिल्ली जैसी हो गई। माननीय के सामने सावधान की अवस्था में खड़े हो गए। ठीक उसी तरह जैसे-कक्षा में मास्साब के सामने खड़े हो जाते हैं। शहर विधायक ने पूछा कि नोटिस दिया है? जवाब-सर नहीं। फिर बिना नोटिस दिए क्यों तोडऩे चले आए। इस पर सबकी बोलती बंद हो गई। विधायक के कहने के बाद ही जब्त जेनरेटर को टै्रक्टर से उतार दिया गया। डॉक्टर साहब की तो बल्ले हो गई, 50 हजार का चेक भी बच गया और जेनरेटर भी मिल गया। डॉक्टर साहब भी मन-मन में खुश थे, विधायक का शुक्रिया भी अदा कर रहे थे।


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