यूपी के इस शहर में वैदिक आश्रम पद्धति से मिल रही शिक्षा, गीता ज्ञान के साथ संस्कारवान बन रहे बच्चे
Vedic Ashram System of Education हमारी संस्कृति दुनिया की सबसे सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। पाश्चात्य संस्कृति जैसे-जैसे हावी हो रही है हम अपने बच्चों को संस्कार देने में पिछड़ रहे हैं। लेकिन मुरादाबाद में ऋषि-मुनियों के युग जैसी शिक्षा-दीक्षा का माहौल तैयार हो रहा है।
मुरादाबाद, जेएनएन। Vedic Ashram System of Education : हमारी संस्कृति दुनिया की सबसे सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। पाश्चात्य संस्कृति जैसे-जैसे हावी हो रही है हम अपने बच्चों को संस्कार देने में पिछड़ रहे हैं। लेकिन, मुरादाबाद में ऋषि-मुनियों के युग जैसी शिक्षा-दीक्षा का माहौल तैयार हो रहा है। सम्भल रोड स्थित वृंदावन हरे कृष्ण वैदिक आश्रम में देश के कई राज्यों के बच्चे संस्कारवान बन रहे हैं। उनकी वेषभूषा, शिक्षा-दीक्षा, भक्ति से व्यायाम और शयन के लिए जाने तक की दिनचर्या किसी तपस्या से कम नहीं है। गुरु पूर्णिमा के दिन 24 जुलाई 2021 को इसकी स्थापना हुई थी।
वैदिक आश्रम में 12 से 15 साल के 15 बच्चे पढ़ रहे हैं। बच्चे गीता की पढ़ाई कर रहे हैं। वसंत पंचमी पर इनका जनेऊ संस्कार होगा, उसके बाद इनकी वैदिक की पढ़ाई शुरू होगी। जनेऊ होने के बाद वेद पुराण, भारतीय आदर्श और संस्कृति से जोड़कर ऋषि-मुनियों के काल जैसी शिक्षा वैदिक आश्रम में बच्चे ग्रहण कर रहे हैं। इनकी दिनचर्या शीतकालीन में सुबह पांच बजे से रात 9:30 बजे और ग्रीष्मकालीन में सुबह चार बजे से रात 9:45 बजे शयन पर जाने के बाद ही पूरी होती है।
15 बच्चों में एक बच्चे का जनेऊ संस्कार होने के बाद वेदों की पढ़ाई चल रही है, जबकि तीन बच्चों की श्रीमद्भागवत गीता पूरी हो चुकी है। शेष बच्चे गीता पढ़ रहे हैं। अप्रैल में वैदिक पढ़ाई की परीक्षा होगी। वैदिक आश्रम में बच्चों को भारतीय संस्कृति से जोड़ने, वेद में देवताओं की पूजा, गीता का ज्ञान, यज्ञ, कर्मकांड, संस्कार व यजुर्वेद की पढ़ाई ही नहीं शरीर को स्वस्थ रखने को योगा, स्वच्छता का ज्ञान भी सीख रहे हैं। वैदिक आश्रम में यज्ञोपवीत होने के बाद बच्चे कर्मकांड, यज्ञ करा सकेंगे।
सात साल तक आश्रम में मध्यमा (12वीं) की पढ़ाई करने के बाद किसी भी विश्वविद्यालय में संस्कृत विषय से पढ़ सकते हैं। हरे कृष्ण सेवा की ओर से संचालित इस वैदिक आश्रम में अध्यक्ष ज्ञानेंद्र शर्मा, कार्यकारी सचिव श्याम सुंदर गौड़, उपाध्यक्ष राजेश खंडेलवाल के सहयोग से यह वैदिक आश्रम संचालित हो रहा है।मध्य प्रदेश के सतना जिले से आए आचार्य आदर्श पांडे इनको शिक्षा-दीक्षा दे रहे हैं।
वह बताते हैं कि इन बच्चों का जुलाई में प्रथमा में प्रवेश हुआ था। तीन साल में प्रथमा पूरा होगा। इसके बाद दो वर्ष में पूर्व मध्यमा होगा और इसके बाद दो वर्ष में उत्तर मध्यमा की पढ़ाई करेंगे। फिर शास्त्री की उपाधि के लिए किसी भी संस्कृति विश्वविद्यालय में प्रवेश ले सकेंगे। यहां दिल्ली, लखीमपुर खीरी, सुल्तानपुर, वाराणसी, बिहार और मुम्बई के बच्चे पढ़ रहे हैं।
वैदिक आश्रम में शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों की दिनचर्या
- सुबह पांच बजे जागना।
- सुबह पांच से 5.30 बजे तक स्नान समेत नित्य क्रियाएं।
- सुबह 5.30 बजे से छह बजे तक संध्या और छह से सात बजे तक पारायण है।
- सुबह सात से 7:30 बजे तक योगासन।
- सुबह 7:30 से आठ बजे तक स्वच्छता।
- सुबह आठ से 8:30 बजे तक अल्प आहार।
- सुबह 8:30 बजे से नौ बजे तक प्रार्थना-आरती।
सुबह नौ से 10:30 बजे तक प्रथम कक्षा
सुबह 10:45 से 12 बजे तक द्वितीय कक्षा
दोपहर 12 से 1:30 बजे तक भोजन-विश्राम।
दोपहर 1:30 बजे से 2:30 बजे तक तृतीय कक्षा।
दोपहर 2:30 बजे से चार बजे तक चौथी कक्षा।
शाम चार से 4:30 बजे तक अल्प आहार।
शाम 4:30 बजे से 5:30 बजे तक खेलकूद।
-शाम 5:30 बजे से छह बजे तक स्वच्छता।
-शाम छह से 6:30 बजे तक संध्या।
-शाम 6:30 बजे से सात बजे तक आरती।
-शाम सात बजे से आठ बजे तक पारायण।
-रात आठ से 8:30 बजे तक भोजन।
- 8:45 से 9:15 लेखन कार्य।
रात 9:30 बजे दुग्धपान-दीप विसर्जन।
नोट-यह शीत कालीन दिनचर्या है।