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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मांगी पाकिस्तान जिंदाबाद लिखने वाले छात्र की डिटेल

मुजस्सम गनी और रफी फारुख का कश्मीरी कनेक्शन खुफिया एजेंसी तलाशने में जुट गई हैं।

By Narendra KumarEdited By: Published: Mon, 18 Feb 2019 01:06 AM (IST)Updated: Mon, 18 Feb 2019 06:05 AM (IST)
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मांगी पाकिस्तान जिंदाबाद लिखने वाले छात्र की डिटेल
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मांगी पाकिस्तान जिंदाबाद लिखने वाले छात्र की डिटेल

मुरादाबाद, जेएनएन। मुजस्सम गनी और रफी फारुख का कश्मीरी कनेक्शन खुफिया एजेंसी तलाशने में जुट गई हैं। दोनों की मोबाइल कॉल और फेसबुक और वाटस एप की डिटेल मंगा ली गई।

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लिखा था पाकिस्तान जिंदाबाद

मुजस्सन गनी ने वाट्सएप पर पाक जिंदाबाद का स्टेटस लिखा था। रफी फारुख ने अक्टूबर में फेसबुक पर आपत्तिजनक मैसेज लिखा था। दोनों छात्रों की करतूत को लेकर खुफिया एजेंसी चौकन्ना हो गई हैं। गृह मंत्रालय ने भी रविवार की रात एसएसपी से पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की है। गृह मंत्रालय को दोनों छात्रों के खिलाफ दर्ज की गई एफआइआर और परिवार के बारे में जानकारी दी गई है। मामला राष्ट्रीयता से जुड़ा होने की वजह से एनआइए ने भी शीर्ष अफसरों से पूरे प्रकरण पर संपर्क किया है।

जांच में सामने आई ये बातें

खुफिया एजेंसी की जांच में सामने आया कि रफी फारुख का असली नाम रफी यू अहमद है, जो अनंतनाग के मस्जिद शरीका के बोनापुरा का रहने वाला है। ऐसे में रफी के अतीत को एजेंसी तलाशने में जुटी है। पड़ताल की जा रही है कि मुजस्सन गनी का रफी फारुख से क्या कनेक्शन है। माना जा रहा है कि उसका मोबाइल तीन दिन से बंद आ रहा है। आतंकी हमले वाले दिन से रफी कहां गया है? उसकी पड़ताल पुलिस और खुफिया एजेंसी गहनता से कर रही है।

रफी से जुड़े बाकी छात्रों पर नजर

रफी के मोबाइल की कॉल डिटेल लेने के बाद बाकी छात्रों पर नजर रखी जा रही है। सीओ राजेश कुमार का कहना है कि एमआइटी से भी रफी का पूरा रिकार्ड ले लिया है। रफी जहां का रहने वाला हैं, एजेंसी वहां से भी संपर्क में जुट गई है। दरअसल, रफी अक्टूबर से सक्रिय हैं, उसने 11 अक्टूबर को आतंकी के मरने पर भी ब्लैक डे बताया था।

कार्रवाई से कटघरे में आई एलआइयू

एमआइटी में रफी पहले से ही विवादों में हैं। 11 अक्टूबर को उसने फेसबुक पर ब्लैक डे लिखा था। उस दिन भारतीय सेना ने आतंकी को मार गिराया था। कक्षा में तभी से रफी चर्चाओं में आ गया था। कुछ छात्रों ने उस समय भी रफी का विरोध किया था। इस संबंध में कॉलेज प्रशासन ने एलआइयू को मामले की जानकारी दी थी। उसके बावजूद भी एलआइयू ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया, जबकि मामला देश की सुरक्षा को लेकर था। एलआइयू की यही लापरवाही से रफी दोबारा से सामने आया।

हां, मुजस्सम ने हमारे सामने बोला था पाक जिंदाबाद

एमआइटी कॉलेज प्रकरण में पुलिस ने छह प्रदर्शनकारियों के बयान दर्ज किए। इसमें सभी ने एक स्वर में मुजस्सम पर पाक जिंदाबाद लिखने के साथ ही नारे लगाने का भी आरोप लगाया है। उसको आधार बनाते हुए पुलिस ने दूसरा पर्चा भी काट दिया है, जिसके आधार पर मुजस्सम को कोर्ट से जमानत नहीं मिल सकी है। साथ ही दूसरे छात्र रफी फारुख के बारे में कॉलेज पहुंचकर जानकारी मांगी गई, ताकि छात्र से पूछताछ की जा सके।

थाने पहुंचकर दर्ज कराए बयान

रविवार को धर्मेश सैनी, दीक्षांत चौधरी, रोहित कुमार, रजत शर्मा, विक्की कुमार और सिद्धार्थ शर्मा ने थाने पहुंचकर अपने बयान दर्ज कराए। सभी ने बताया कि हां मुजस्सम ने हमारे सामने पाक जिंदाबाद और भारत मुर्दाबाद के नारे लगाए थे। उन्होंने रफी फारुख पर भी भारत पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया। सभी लोगों के बयान दर्ज करने के बाद पुलिस ने विवेचना में दूसरा पर्चा भी काट दिया है। सीओ राजेश कुमार का कहना है कि रफी से पूछताछ की जानी है। ताकि उस पर लगे आरोपों के बारे में जांच की जा सकें।

गोलियों की आवाज से 300 छात्र छात्राएं दहशतजदा

एमआइटी के कुल सचिव एसएन शुक्ला ने बताया कि शनिवार को दोपहर एक बजे 20 से 25 युवक कॉलेज के गेट पर जाम हो गए, जो अंदर आने की जिद करने लगे। सुरक्षाकर्मियों ने उनसे अंदर आने का कारण पूछा। तब उन्होंने बताया कि संस्थान के एक छात्र ने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी की है, उसे लेने आए हैं। संस्थान के कर्मचारियों ने उन्हें समझाने की कोशिश की। यह भी बताया कि उस मामले में संस्थान उचित कार्रवाई कर रहा है। तभी संस्थान के शिक्षकों और कर्मचारियों के साथ हाथापाई शुरू कर दी। इसी बीच दो युवकों ने तमंचे से फायङ्क्षरग शुरू कर दी। गोलियों की आवाज से तीन सौ छात्र-छात्राएं दहशत में आ गए। तत्काल ही अफरा तफरी का माहौल बन गया। कॉलेज प्रशासन मांग करता है कि उक्त आरोपित लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।


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