CBI Raid in Moradabad : चहेती एजेंसी के चक्रव्यूह में फंसकर बैंक के जीएम ने उड़ाईं नियमाें की धज्जियां
मीडिया में बिना विज्ञापन और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की मंजूरी के जीएम ने ठेका दिया था । सर्व यूपी ग्रामीण बैंक मेरठ ने जीएम की चहेती एजेंसी के कारनामों को देख पैनल से हटाया था।
मुरादाबाद, जेएनएन। रिश्वतकांड में सीबीआइ द्वारा रंगे हाथ पकड़े गए आरोपित जीएम ने अपनी नौकरी दांव पर लगाकर चहेती रिकवरी एजेंसी को ठेका दिया था। एक नहीं चार नियमों को ताक पर रखकर जीएम रविकांत ने ठेका दे दिया था। पहली गलती एनपीए की रिकवरी के लिए एजेंसी नामित करने को मीडिया में विज्ञापन प्रकाशन नहीं कराया। दूसरी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक में मंजूरी नहीं ली गई। तीसरी आरबीआइ ने कोरोना काल में एनपीए की वसूली पर रोक लगा रखी है, तो फिर एजेंसी नामित करने की जल्दबाजी क्यों की गई? चौथा दस साल पहले सर्व यूपी ग्रामीण बैंक मेरठ ने ठेका पाने वाली एजेंसी गलतियों को उजागर करके पैनल से हटा दिया था
एजेंसी की कुंडली खंगाले बगैर रिश्वतखोर जीएम रविकांत चहेती कंपनी के चक्रव्यूह में फंसकर रह गए। रविकांत एक जुलाई को पीएनबी सर्किल हेड से स्थानांतरण होकर प्रथमा यूपी ग्रामीण बैंक में आए थे और आने के बाद उनको एनपीए की रिकवरी का चार्ज मिल गया। जीएम मलाईदार चार्ज मिलने पर नियमों को भूल गए। जब पीएनबी में थे तभी से जीएम के चहेती कंपनी से अच्छे संबंध थे। इस कंपनी के चक्रव्यूह में ऐसे फंसे कि गलत और सही भूल गए। प्रथमा यूपी ग्रामीण बैंक से पहले जब केवल प्रथमा बैंक था तब भी इस कंपनी को कभी एनपीए रिकवरी का काम नहीं दिया गया। जीएम की डिमांड बढ़ने पर विरोधी कंपनी को अहसास हो गया था कि वह पैसे भी उससे ज्यादा लेंगे और काम भी अपनी चहेती कंपनी को देंगे। तभी गाजियाबाद की विरोधी कंपनी ने सीबीआइ से मिलकर उसे रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़वाया।
पांच शहरों में सबसे ज्यादा एनपीए
प्रदेश के 13 रीजन में पांच शहरों में सबसे ज्यादा एनपीए है। इसमें रामपुर, सम्भल, अमरोहा, ठाकुरद्वारा और बदायूं में एनपीए रिकवरी को बात और बिगड़ गई। इन पांचाें शहरों की रिकवरी कराने को प्राथमिकता चहेती कंपनी को दी गई। पूरब के शहर बलरामपुर, गोंडा, झांसी समेत दूसरे शहरों में एनपीए कम था। कम एनपीए वाले शहरों का काम विरोधी कंपनी को देना था। यहीं से सबसे ज्यादा खेल बिगड़ा और जीएम रिश्वतकांड में पकड़े गए।
रिकवरी के नियमों को लेकर पीएनबी मुख्यालय अपनी रिपोर्ट तैयार कर रहा है। अगर एजेंसी के प्रपत्र सही नहीं मिले तो हटाने का निर्णय भी पीएनबी मुख्यालय को लेना है। फिलहाल रीजनल स्तर पर भी रिकवरी की जिम्मेदारी देने पर विचार चल रहा है।
अशोक कुमार, मुख्य प्रबंधक, प्रथमा यूपी ग्रामीण बैंक