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गन्ने की फसल को चपेट में ले रही कैंसर की बीमारी, जानिए क्या हैं लक्षण और कैसे करें बचाव Sambhal news

समय समय पर फसल में दवाओं का छिड़काव करना पड़ेगा। उनका कहना है कि गड्ढों में ब्‍लीचिंग पाउडर डाल दें।

By Narendra KumarEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 02:32 PM (IST)Updated: Thu, 07 Nov 2019 06:03 PM (IST)
गन्ने की फसल को चपेट में ले रही कैंसर की बीमारी, जानिए क्या हैं लक्षण और कैसे करें बचाव Sambhal news
गन्ने की फसल को चपेट में ले रही कैंसर की बीमारी, जानिए क्या हैं लक्षण और कैसे करें बचाव Sambhal news

सम्भल, जेएनएन। इंसानों के साथ ही फसलों में भी नित नई बीमारियां सामने आ रही हैं। जिले में गन्ना की फसल में लाल सड़न यानी कैंसर की बीमारी लगनी शुरू हो गई है। ऐसे में किसानों को जागरूक होना जरूरी है। इस बीमारी पर अंकुश लगाने के लिए किसानों को उपाय करने होंगे। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गन्ना की फसल में इन दिनों लाल सडऩ का रोग लगने लगा है। इसे गन्ना का कैंसर भी कहा जाता है। उन्होंने बताया कि इस रोग के व्यापक रूप से फैलने के कारण प्रजातियों को अस्वीकृत तक करना पड़ता है।

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सम्भल जिले में अन्नदाता बड़े पैमाने पर गन्ना की खेती करते । इस वर्ष भी जिले में 46 हजार हेक्टेयर में गन्ने की फसल बोई गई है।  जिले की  असमोली, बीनस, रजपुरा शुगर मिल पर गन्ने की पेराई होती है। नवंबर माह शुरू हो चुका है। गन्ने की फसल किसानों के खेत पर लहरा रही है। मिलें भी शुरू हो चुकी है और गन्ने की पेराई की जा रही है लेकिन, इन दिनों अन्नदाता फिर मुश्किलों में है। क्योंकि गन्ने की फसल में कैंसर यानी लाल सडऩ होने की संभावना बढ़ गई है। गन्ने में कैंसर की बीमार पनपने लगी है। जिला कृषि अधिकारी नरेन्द्र सिंह ने बताया कि गन्ने के कैंसर यानी लाल सड़न को लेकर एडवाइजरी जारी की है। किसानों को बताया जा रहा है कि इसके लक्षण गन्ने के खेत में दिखते ही यथाशीघ्र रोकथाम करें।

यह हैं कैंसर के लक्षण

- गन्ना गांठों से आसानी से टूट जाता है, पूरा गन्ने का थान ही सूख जाता है ।

- गन्ने की पत्तियों की मध्यशिरा पर लाल धब्बे (मोतियों की माला की तरह) दिखाई देते हैं।

- धीरे-धीरे गन्ने का पूरा अगोला सूख जाता है और गन्ने का गूदा लाल रंग का दिखाई देता है।

- कैंसर प्रभावित गन्ने के तने पर एल्कोहल/सिरके जैसी गन्ध आती है।

- सितंबर से गन्ने में सबसे पहले ऊपर से तीसरी-चौथी पत्ती पीली पड़ऩे लगती है। सड़न

गन्ने के कैंसर के उपचार के उपाय

- स्वस्थ पौधों पर सिस्टमिक फफूंदीनाशक ( कार्बेन्डाजिम /थयोफिनेट मेथिल 0़2 प्रतिशत) का छिड़काव कर दें।

- 10 किग्रा प्रति हेक्टेअर की दर से दो -तीन क्विंटल गोबर की सड़ी हुई भुरभुरी खाद में मिलाकर गन्ने की लाइनों में डालें।

- प्रभावित खेत की मेढ़बंदी कर दें ताकि अन्य खेत में रोग न फैलने पाये।

- गन्ने में कैंसर के लक्षण दिखने पर प्रभावित थानों को जड़ सहित उखाड़कर, खोदकर खेत से बाहर नष्ट कर दें।

- कैंसर प्रभावित गन्ने के पौधे उखाडऩे के पश्चात हुए गड्ढों में 10-20 ग्राम ब्‍लीचिंग पाउडर का बिखराव करें।

दवाई लगाने के बाद ही बोना चाहिए बीज

जिला कृषि अधिकारी नरेन्द्र सिंह का कहना है कि इस दिनों गन्ने की फसल में कैंसर की बीमारी ने पनपनी लगी है। उनका कहना है कि जो किसान गन्ने की फसल करते है। उन्हें सबसे पहले गन्ने का बीज लेकर उसके टुकड़े करके दवाई में डुबाना चाहिए। इसके बाद बीज को छांव में सुखाना चाहिए। इसके बाद ही फसल को बोना चाहिए। जिससे ऐसी बीमारियों के पनपने का खतरा कम हो जाता है।

बीमारी को लेकर सावधानी बरतें किसान

जिला गन्ना अधिकारी कुलदीप सिंह का कहना है कि इन दिनों गन्ने की फसल में बीमारी फैल रही है। ऐसे में किसानों का सावधानी बरतनी होगी। मिट्टी से यह रोग और ज्यादा न फैले इसके लिए गन्ना बुवाई के समय ट्राइकोडर्मा चार किग्रा प्रति एकड़ की दर से गोबर की सड़ी हुई भुरभुरी खाद में मिलाकर गन्ने की लाइनों में डालकर मिट्टी में मिला दें। गन्ना बुवाई के समय बीज चयन पर विशेष ध्यान दें। 


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