मौसी बनकर आरोपित की मां ने रोका दुष्कर्म पीड़िता का विवाह, जानिए क्या है मामला
चाइल्ड हेल्प लाइन पर काल कर दुष्कर्म पीड़िता को बताया नाबालिग। बाल विवाह की सूचना देने वाली महिला ने बताया कि दुष्कर्म के आरोप में उसका बेटा बीते डेढ़ वर्ष से जेल में है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
मुरादाबाद, जेएनएन। बदले की आग में जल रही आरोपित की मां ने मौसी बनकर दुष्कर्म पीड़िता का विवाह रोक दिया। हालांकि आरोपित की मां का यह दावा सच निकला कि दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग है। ऐसे में एएचटीयू (एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट) ने दुष्कर्म पीड़िता के पिता से लिखित आश्वासन लिया कि जब तक वह बालिग नहीं होती, तब तक उसका विवाह नहीं होगा।
बाल विवाह का यह प्रकरण सोमवार को मुरादाबाद की चर्चा में रहा। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष गुलजार अहमद ने बताया कि अलीगढ़ की रहने वाली एक महिला सोमवार को न्यायपीठ के समक्ष पेश हुई। उसने बताया कि उसकी नाबालिग भांजी का बाल विवाह मुरादाबाद के मझोला थाना क्षेत्र में एक धर्म स्थल पर होने जा रहा है। महिला ने बाल विवाह रोकने की मांग की। तब न्यायपीठ ने एएचटीयू को मौके पर रवाना किया। बाल कल्याण समिति की महिला सदस्य नीतू सक्सेना व चाइल्ड लाइन की समन्वयक श्रद्धा शर्मा दलबल के साथ मौके पर पहुंची। पूछताछ में पता चला कि अलीगढ़ की रहने वाली जिस किशोरी के विवाह की तैयारी हो रही है, वह इस वक्त महज 16 वर्ष 10 माह की है। इस पर आपत्ति जताते एएचटीयू ने बाल विवाह रोकने को कहा। तब लड़की के पिता विवाह रोकने पर राजी हो गया। उसने लिखित आश्वासन दिया। महिला ने बताया कि किशोरी का पिता धर्म स्थल पर सेवादार के रूप में काम करता है। रामपुर के शाहबाद में रहने वाले युवक से किशोरी का रिश्ता तय किया गया था। महिला ने कहा कि जब तक उसका बेटा जेल में है, तब तक वह किशोरी का विवाह नहीं होने देगी। उधर बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष गुलजार अहमद ने कहा कि लड़की नाबालिग थी। ऐसे में उसका विवाह कानूनी दृष्टि से अवैध था। यही वजह है कि बाल विवाह रोका गया।