मुरादाबाद में बाबू के हाथ में महिला शरणालय की अधीक्षिका की कमान, जानिए क्या है वजह
महिला कल्याण विभाग में डीपीओ के माध्यम से ही योजनाओं का संचालन भी होता है। बच्चों के साथ होने वाले अपराध पैरोल पर रिहाई महिला उत्पीड़न किशाेर आपचारी और अनाथ बच्चों के संरक्षण और निगरानी का काम भी डीपीओ का ही है।
मुरादाबाद, जेएनएन। Deployment of Superintendent in Women shelter। महिला शरणालय में कई साल से अधीक्षिका नहीं है। मंडल कार्यालय की बाबू विनोद बाला श्रीवास्तव के हाथ में उपनिदेशक महिला कल्याण राजेश कुमार गुप्ता ने अधीक्षिका की कमान सौंप रखी है। यही हाल बाल संप्रेक्षण गृह का है। यहां सुपरवाइजर रामप्रताप के पास अधीक्षक का चार्ज है। दोनों संस्थाओं के लिए कई साल से अधिकारियों की मांग की जा रही है। लेकिन, अभी तक किसी संस्था के लिए अधिकारी नहीं मिला है।
प्रदेश सरकार महिलाओं के कल्याण करने की दावे कर रही है। लेकिन, महिलाओं के लिए काम करने वाले विभाग के मुखिया जिला प्रोबेशन अधिकारी का पद पिछले पांच साल से रिक्त चल रहा है। उप निदेशक महिला कल्याण राजेश कुमार गुप्ता जिला प्रोबेशन अधिकारी काम भी देख रहे हैं। उप निदेशक ने शासन को एक नहीं अनेक पत्र लिखे हैं। उन्होंने डीपीओ की तैनाती की मांग की है। इसके बाद भी अभी तक यहां डीपीओ की नियुक्ति नहीं हुई। उनकी बात को लखनऊ में बैठे अधिकारी अनसुना कर देते हैं। जिले में घरेलू हिंसा के 345 मामले चल रहे हैं। लेकिन, डीपीओ का पद खाली होने की वजह से इन मामले में प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पा रही है। काउंसलर भी परमानेंट अफसर न होने की वजह से मौज कर रहींं हैं। महिला कल्याण विभाग में डीपीओ के माध्यम से ही योजनाओं का संचालन भी होता है। बच्चों के साथ होने वाले अपराध, पैरोल पर रिहाई, महिला उत्पीड़न, किशाेर आपचारी और अनाथ बच्चों के संरक्षण और निगरानी का काम भी डीपीओ का ही है। लेकिन, उप निदेशक के पास चार्ज होने से तमाम मामले लंबित हो जाते हैं। इसे लेकर महिला कल्याण विभाग पर सवाल खड़ा हो रहा है। उप निदेशक ने बताया कि मैं तो पत्र लिखकर डीपीओ की डिमांड ही तो कर सकता हूं। लगातार डीपीओ की तैनाती की मांग की जा रही है। लेकिन, शासन से कोई तैनाती अभी तक नहीं हो पाई है। मजबूरी में मंडल कार्यालय में तैनात लिपिक को महिला शरणालय का चार्ज दिलाया है।