आजम खां के बेटे अब्दुल्ला जानिए दारोगा से क्यों बोले, क्या पता पुलिस वाले ही मुझे गोली मार दें
UP Chunav 2022 आजम खां के बेटे अब्दुल्ला प्रचार के दौरान गाड़ियां रोकने पर पुलिस से उलझ गए। दारोगा से बोले क्या पता पुलिस वाले ही मुझे गोली मार दें। पुलिस वाले ही मार रहे हैं। आप भी जानते हैं फर्जी एनकाउंटर में जाने कितने लोग मार दिए गए।
रामपुर, जेएनएन। UP Vidhan Sabha Election 2022 : जैसे-जैसे यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के मतदान की तारीख पास आ रही है, वैसे-वैसे ही राजनीतिक दल के प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार तेज कर दिया है। साथ ही नेताओं के विवादित बोल भी सामने आने लगे हैं। ताजा मामला रामपुर जनपद का है। यहां सांसद आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम की गाड़ियां पुलिस ने प्रचार के दौरान रोक लीं। इस पर अब्दुल्ला दारोगा से उलझ गए और बोले, क्या पता पुलिस वाले ही मुझे गोली मार दें। यूपी में तो पुलिस वाले ही मार रहे हैं। आप भी जानते हैं, फर्जी एनकाउंटर में जाने कितने लोग मार दिए गए। आप खुद नहीं कर रहे हैं, आपसे ऊपर से कराया जा रहा है, लेकिन फिर भी हम हारेंगे नहीं।
अब्दुल्ला आजम स्वार टांडा विधानसभा सीट से सपा प्रत्याशी हैं। 23 माह बाद जेल से छूट कर आए हैं। उनके पिता आजम खां रामपुर शहर से चुनाव लड़ रहे हैं। वह दो साल से सीतापुर की जेल में बंद हैं। अब्दुल्ला अपने चुनाव के साथ ही आजम खां के चुनाव की बागडोर भी संभाले हैं। वह स्वार टांडा क्षेत्र में प्रचार के लिए निकले तो सहरिया गांव में पुलिस वालों ने उनकी गाड़ी रोक लीं। कहा कि चार से ज्यादा गाड़ी नहीं चल सकतीं। अब्दुल्ला बोले हमारी चार ही गाड़ी हैं। सुरक्षा के लिहाज से पुलिस की गाड़ी भी उनके साथ चल रही थी। उसे भी पुलिस वाले उनके साथ बताने लगे। इसी को लेकर विवाद हो गया। अब्दुल्ला बोले यह गाड़ी हमारे साथ नहीं है। इसे ले जाओ। इसी को लेकर टांडा थाने के दारोगा मनोज कुमार ने कहा कि सुरक्षा के लिए है। अब्दुल्ला बोले, क्या पता पुलिस वाले ही मुझे गोली मार दें। अब्दुल्ला के समर्थक बोले, दूसरे प्रत्याशी 15-15 गाड़ी लिए घूम रहे हैं और पर्चे भी बांट रहे हैं, लेकिन उन्हें नहीं रोक रहे हैं। सिर्फ हमें रोक रहे हैं।
हाथरस की बेटी को न्याय दिलाने के लिए माननीय जयंत चौधरी जी संघर्ष कर रहे थे तब उनके ऊपर लाठी चला कर हत्या करने की साजिश की थी भारतीय जनता पार्टी ने, तब नहीं याद आया इनको जाट समाज का प्यारI. किसान आंदोलन के दौरान 700 किसानों की शहादत हो गई तब जिसमें ज्यादातर जाट थे तब इनको नहीं याद आया जाटों का प्यार, अब जब चुनाव में हार दिख रही है तो धर्म के नाम पर समाज को बांटने की कोशिश कर रहे हैं - Rohit agarwal (@rohitagarwal85) 27 Jan 2022
View attached media content - Sanjay Seth (@MpSanjayseth) 27 Jan 2022