Ayodhya Ram Mandir : मुरादाबाद के रामलीला ग्राउंड में पूजी गई थीं अयोध्या भेजी गईंं शिलाएं
Ayodhya Ram Mandir डिप्टी साहब के मंदिर से लेकर गुलाबबाड़ी तक जुलूस भी निकाला गया जिस पर पुलिस ने लाठियां बरसाई थीं।
मुरादाबाद, जेएनएन। राममंदिर आंदोलन से पहले देशभर से शिलाएं अयोध्या भेजी जा रही थीं। हर जगह इनका पूजन हो रहा था, मुरादाबाद में भी लाइनपार रामलीला ग्रांड में घर-घर से आयी शिलाओं का पूजन किया गया, इसके बाद रामभक्त इन शिलाओं को लेकर अयोध्या कूच कर गए। यह कहना है इस आंदोलन में सक्रिय भूमिका अदा करने वाले कटघर निवासी मनोज व्यास का। उस समय बजरंग दल के विभाग संयोजक की भूमिका अदा करने वाले 65 वर्षीय मनोज व्यास ने मंदिर आंदोलन की लड़ाई में अंत तक शामिल रहे।
1989-90 की बात है, जब मनोज व्यास ने विश्व ङ्क्षहदू परिषद के नगर मंत्री केके शुक्ला, संगठन मंत्री ईश्वरी प्रसाद, बजरंग दल के जिला संयोजक दीपक गोयल व अन्य लोगों के साथ मिलकर मुरादाबाद में राम मंदिर आंदोलन के लिए जमीन तैयार की थी। वह बताते हैं कि छह दिसंबर को ढांचा टूटने के बाद जगह-जगह अस्थि कलश यात्रा निकाली गई। मुरादाबाद में निकाली गई यात्रा के दौरान लाठी चार्ज हुआ और कई लोगों की गिरफ्तारी भी हुई लेकिन, उन्होंने व केके शुक्ला ने गिरफ्तारी नहीं दी और बाहर से काम करते रहे।
छह महीने सोए थे घर से बाहर
बाबरी विध्वंस के बाद पूरे देश में राम मंदिर आंदोलन से जुड़े लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा था, उनके घरों पर पुलिस छापेमारी कर रही थी। लेकिन, केके शुक्ला व मनोज व्यास ने गिरफ्तारी नहीं दी थी। इसके चलते आए दिन पुलिस उनके घर पर छापेमारी करती थी, जिस कारण वे करीब छह महीने तक घर से बाहर रहे और मुरादाबाद में इधर-उधर पैदल ही घूमते रहे।
जोशी और सिंघल के आते ही पुलिस ने घेरा था स्टेशन
आंदोलन अपने चरम पर था और लोगों को देखते ही गिरफ्तार किया जा रहा था। मनोज व्यास बताते हैं कि मुरली मनोहर जोशी और अशोक ङ्क्षसघल मुरादाबाद पहुंचे थे, उनके स्वागत के लिए कई लोग रेलवे स्टेशन पर पहुंचे। उसमें वे भी शामिल थे । पुलिस को जैसे ही यह सूचना मिली रेलवे स्टेशन को घेर लिया गया, जिसके बाद वह ट्रेन पर ही सवार होकर लाइनपार निकल गए और यहां उतर गए। इसके बाद उन्होंने आखिरी लड़ाई में भी सक्रिय भूमिका अदा की।