Ayodhya Ram Mandir : कारसेवा के लिए निकले तो पकड़ लिए गए, अब साकार हो रही 33 साल पुरानी तपस्या
Ayodhya Ram Mandir बाबरी मस्जिद गिराए जाने पर 24 दिसंबर 92 से 7 फरवरी 1993 तक हिंंदूवादी नेता के रूप में सुरेश अग्रवाल एनएसए में मुरादाबाद में जेल काट चुके हैं।
अमरोहा। जनपद के हिंंदूवादी नेता सुरेश अग्रवाल श्री राम मंदिर निर्माण के लिए 33 साल पुरानी तपस्या साकार होते देख बुढ़ापे में खुश हैं। अपने जीवन में श्री राम मंदिर का निर्माण होने को वह बड़े सौभाग्य की बात मान रहे हैं।
17 मार्च 1949 को हसनपुर के व्यापारी स्वर्गीय जानकी प्रसाद के घर जन्मे सुरेश अग्रवाल ने राम मंदिर आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। वर्ष 1987 से 1990 तक विश्व हिदू परिषद के नगर अध्यक्ष, 1990 से 1992 तक मुरादाबाद जनपद के जिलाध्यक्ष, 1992 से 96 तक मुरादाबाद के विभाग अध्यक्ष, 1996 से 97 तक संभाग मंत्री का दायित्व संभाल चुके हैं। वर्ष 2000 में गोवंश संवर्धन विभाग उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष रह चुके हैं।
कारसेवा के लिए निकलने पर पकड़ लिए गए थे
वह बताते हैं 13 नवंबर 1990 को करीब 1000 कार्यकर्ताओं के साथ वह श्री राम मंदिर की कारसेवा के लिए अयोध्या के लिए निकले तो उन्हें गिरफ्तार कर रामपुर जेल में बंद कर दिया गया। आठ दिसंबर तक वह रामपुर जेल में बंद रहे। इसके अलावा अयोध्या के लिए सत्याग्रह करते हुए लखनऊ में भी गिरफ्तार किया गया था लेकिन, थाने से छूटकर वह अयोध्या पहुंच गए। बाद में सरकार द्वारा ट्रेन से उन्हें वापस भेजा गया। वह भाजपा में भी जिलाध्यक्ष सहित विभिन्न पदों पर आसीन रह चुके हैं। 33 साल पुरानी तपस्या साकार होने पर 71 वर्षीय सुरेश अग्रवाल कहते हैं कि उनके जीवन में श्री राम मंदिर का निर्माण हो रहा है इससे बड़े सौभाग्य की बात उनके लिए कोई और नहीं हो सकती।
अशोक सिंंघल के करीबी रहे हैं सुरेश
विश्व हिदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिघल, वरिष्ठ नेता चंपत राय, शिव प्रकाश, राकेश जैन तथा रामलाल से सुरेश अग्रवाल की काफी नजदीकियां रही हैं। अशोक सिघल दो बार उनके हसनपुर आवास पर आए थे।
पिता का दीपदान भी नहीं कर पाए थे सुरेश
श्री राम मंदिर आंदोलन में शामिल होने पर जेल में बंद होने के चलते अपने पिता के इकलौते बेटे सुरेश अग्रवाल पिता की मौत के बाद दीपदान भी नहीं कर पाए थे। वह पांच बहनों के इकलौते भाई हैं। उनका कहना है कि श्री राम मंदिर के लिए जेल में बंद रहने का उन्हें कोई मलाल नहीं।