Anmol Murder case : 110 किमी तक दोस्त बनकर किया सफर, मौका मिलते ही कर दी हत्या
Anmol Murder case गाजियाबाद के अनमोल हत्याकांड का पुलिस ने पर्दाफाश कर दिया है। कड़ी से कड़ी जोड़कर पुलिस जब नतीजे पर पहुंची तो कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं।
अमरोहा, जेएनएन। गजरौला के गाजियाबाद के ऑटो चालक अनमोल की हत्या करने वाले कोई और नहीं बल्कि उसके ही अपने दोस्त निकले। गाजियाबाद से गजरौला तक उसके तीनों दोस्त कातिलों के रूप में मौत बनकर साथ बैठे रहे। लेकिन, उसे जरा भी अहसास नहीं हुआ। आखिर में उन्होंने अनमोल को मौत के घाट उतार दिया।
25 अगस्त की रात को हत्या करने वाले उसके दोस्त नन्हे, यशपाल व धारा तीनों ने आटो चालक अनमोल को आटो समेत ब्रजघाट गंगा तक के लिए 600 रुपये में बुक किया। गाजियाबाद से रात को चले। रास्ते में मौज-मस्ती करते हुए ब्रजघाट पहुंचे। अनमोल ने स्नान कर रात में ही लौटने की बात कही। लेकिन, तीनों ने ऐसा करने से मना कर दिया। चूंकि उनका मकसद गंगा में स्नान कर पाप धुलने का नहीं बल्कि अनमोल की हत्या कर नया पाप करने का था। फिर वहां से कुदैना पहुंचे और हमेशा के लिए अनमोल को मौत की नींद सुला दिया। इन दोनों से पूर्व में सवारी बैठाने को लेकर मारपीट भी चुकी है। यह बात भी अनमोल भूल गया और फिर उन पर विश्वास कर लिया।
अनमोल ने खुद ही खरीदा था मौत का सामान
अनमाेल ने क्लच का तार स्वयं ही खरीदा था लेकिन, उसे ऐसा मालूम नहीं था कि वही तार उसकी मौत का सामान बन जाएगा। उसके साथियों ने पहले डंडे से मारा और फिर तार से गला घोटकर हत्या की थी। प्रभारी निरीक्षक आरपी शर्मा ने बताया कि वह तार इसलिए खरीदा गया था कि गाजियाबाद से गजरौला तक लंबे सफर में अगर ऑटो में तार आदि टूटने की दिक्कत आए ताे डाल लिया जाएगा। लेकिन, वह उसकी मौत का सामान बन गया।
नन्हे की स्क्रिप्ट पर हत्या के लिए चुना गजरौला
गाजियाबाद के ऑटो चालक अनमोल की हत्या के मामले में पुलिस को पहले से ही शक था कि कोई न कोई व्यक्ति स्थानीय भी शामिल है। शनिवार को जब पर्दाफाश किया तो यही बात सामने आई। दरअसल, इस हत्याकांड का मास्टरमाइंड नन्हें आदमपुर क्षेत्र का रहने वाला है। उसकी बहन कुृदैना में रहती है। वह यहां के माहौल से पूरी तरह वाफिक था। इसलिए उसकी ही पटकथा पर अनमोल को यहां लाकर मारा गया था।
कातिलों तक कैसे पहुंची पुलिस
25 अगस्त को हुई ऑटो चालक अनमोल की हत्या में पुलिस उलझती जा रही थी। इसके पर्दाफाश में विफल रहे तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक जयवीर सिंह लाइन हाजिर हो गए। इसके बाद में नए प्रभारी निरीक्षक आरपी शर्मा ने दोबारा से हत्याकांड की नए सिरे से जांच शुरू की। गांव कुदैना के लोगों से पूछताछ कि कहीं उनका कोई परिचित गाजियाबाद में तो नहीं रहता है। तब मालूम हुआ कि गांव निवासी रामअवतार का साला नन्हे गाजियााबाद में ऑटो चलाता है। उसका मोबाइल नंबर लेेकर 25 अगस्त यानी घटना वाली रात में ट्रेस किया तो वह संबंधित क्षेत्र में ही सक्रिय मिला। इसके बाद उसे गाजियाबाद से उठाया पूछताछ की तो मामला खुल गया और कातिलों तक पुलिस पहुंच गई।