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Teva API Gas Leak Case : फ‍िर गरमाया गैस रिसाव का मामला, क्षतिपूर्ति के ख‍िलाफ सुप्रीम काेर्ट की शरण में कंपनी

Teva API Gas Leak Case तेवा एपीआइ से जुड़ा गैस रिसाव का मामला एक बार फिर गरमा गया है। पिछले माह एनजीटी ने इस मामले में विपक्षी कंपनी के खिलाफ फैसला सुनाते हुए 10 करोड़ रुपये क्षतिपूर्ति भरने के आदेश दिए थे।

By Narendra KumarEdited By: Published: Sun, 08 Aug 2021 11:42 AM (IST)Updated: Sun, 08 Aug 2021 11:42 AM (IST)
Teva API Gas Leak Case : फ‍िर गरमाया गैस रिसाव का मामला, क्षतिपूर्ति के ख‍िलाफ सुप्रीम काेर्ट की शरण में कंपनी
एनजीटी ने पिछले माह कंपनी को दिए थे 10 करोड़ की क्षतिपूर्ति चुकाने के आदेश।

मुरादाबाद, जागरण संवाददाता।  अमरोहा के गजरौला में तेवा एपीआइ से जुड़ा गैस रिसाव का मामला एक बार फिर गहरा गया है। पिछले माह एनजीटी ने इस मामले में विपक्षी कंपनी के खिलाफ फैसला सुनाते हुए 10 करोड़ रुपये क्षतिपूर्ति भरने के आदेश दिए थे। इसका पालन कराने के लिए एक माह का समय निर्धारित करते हुए जिला अधिकारी को आदेश दिए गए थे लेकिन कंपनी इस मामले में एनजीटी के आदेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट की शरण में पहुंच गई है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने क्या आदेश दिए हैं।

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बता दें कि गजरौला की तेवा एपीआइ से जुड़े गैस रिसाव के एक मामले में एनजीटी ने सभी पक्षों को सुनने के उपरांत छह जुलाई को अपना आदेश सुना दिया था। आनलाइन सुनाए फैसले में कंपनी पर 10 करोड़ रुपये का क्षतिपूर्ति भरने के निर्देश दिए गए थे। जिला अधिकारी को इस मामले का अनुपालन कराने के आदेश देते हुए कहा था कि क्षतिपूर्ति की रकम विपक्षी कंपनी से जमाकर उसे योजनाबद्ध तरीके से पर्यावरण सुधार में लगाया जाए। वहीं एनजीटी ने सुनवाई के दौरान कंपनी से जुड़े कुछ और मामलों को भी शामिल करते हुए जिम्मेदार ठहराया। पानी से जुड़े एक मामले में 14 लाख 85 हजार और एक श्रमिक की मौत के मामले में भी 20 लाख रुपया बतौर चुकाने के आदेश दिए थे। इस आदेश को लेकर तेवी एपीआइ कंपनी सुप्रीम कोर्ट की शरण में पहुंच गई है। हालांकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से कंपनी को क्या राहत मिली, यह अभी पता नहीं चल पाया है, लेकिन जुलाई के अंत में कंपनी के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने की भनक लगने पर यहां मामला फिर गरमाने लगा है।

तेवा कंपनी केे गैस रिसाव मामले में पिछले माह एनजीटी ने जो आदेश 10 करोड़ रुपये क्षतिपूर्ति भरने का पारित किया था। उसे लेकर कंपनी सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गई है। इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में भी लड़ा जाएगा। यह जनहित से जुड़ा मामला है। हालांकि अभी कंपनी के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में इसे लेकर मामला दाखिल करने की ही सूचना मिली है।

मानसी चहल, अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट

यह है पूरा मामला : गजरौला औद्योगिक क्षेत्र है। यहां फैक्टरियों के द्वारा प्रदूषित गैस छोड़े जाने की अक्सर शिकायतें रहती हैं। इसी तरह सात जून और दस जून 2020 को गैस रिसाव होने पर कुछ लोगों को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत महसूस हुई थी। इसकी सूचना पर दमकल विभाग की टीम जांच को मंडी रोड स्थित तेवा एपीआइ पहुंची थी। इसके चीफ फायर अधिकारी के वर्मा ने तेवा फैक्टरी के एक प्लांट से लीकेज होते पाए जाने की बात कही थी। बाद में प्रदूषण विभाग और कई विभागों की संयुक्त जांच टीम ने भी कंपनी के निरीक्षण में भी खामियां पाए जाने की बात कही थी। इस मामले को लेकर खादगूजर चौराहा निवासी जितेंद्र सिंह की ओर से सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता मानसी चाहल के माध्यम से एनजीटी में केस दायर किया था। उनका कहना था कि गैस रिसाव से उन्हें भी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत हुई थी। एनजीटी ने इस मामले में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व अन्य कंपनी इत्यादि पक्षों को नोटिस जारी कर रिपोर्ट तलब की गई थी। इसी मामले में छह जुलाई को एनजीटी ने तेवा एपीआइ के खिलाफ फैसला सुनाया है। कंपनी को गैस रिसाव व अन्य बिंदुओं के लिए जिम्मेदार ठहराते दस करोड़ क्षतिपूर्ति भरने के निर्देश दिए थे। अब इस मामले में कंपनी के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने की खबर है।


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