Amroha Bawankhedi Massacre : रामपुर जेल अधीक्षक के पत्र से हलचल, शबनम के डेथ वारंट के लिए कोर्ट को लिखा
इंसाफ के सारे दरवाजे बंद हो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने रिव्यू पिटिशन 23 जनवरी 2020 को नामंजूर कर दी थी। छह मार्च 2020 को जेल अधीक्षक ने जिला जज को सूचना दी थी। मार्च में ही कोरोना महामारी के चलते लाकडाउन लग गया था इससे पेंच फंस गया था।
मुरादाबाद, जेएनएन। अमरोहा बावनखेड़ी नरसंहार की दोषी शबनम एकाएक सुर्खियों में यूं ही नहीं आई है। पूरे परिवार को मौत की नींद सुलाने के बाद खुद जीने की ललक में वह लगातार इंसाफ की हर चौखट खटखटा रही लेकिन, हर दरवाजे पर निराशा मिली। 23 जनवरी 2020 को अंतिम आशा तब खत्म हो गई, जब सुप्रीम कोर्ट ने रिव्यू पिटिशन भी खारिज कर दी। इसके बाद ही रामपुर जेल अधीक्षक ने अमरोहा के जिला जज को पत्र लिखकर शबनम का डेथ वारंट जारी करने का अनुरोध किया है। हालांकि, इस पत्र पर जेल प्रशासन को फिलहाल कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ है।
जघन्य नरसंहार के बाद शबनम को हर जगह निराशा मिली। पूरे मामले की सुनवाई अमरोहा की अदालत में हुई, जहां उसे फांसी की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद शबनम ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी अपील की मगर, वहां भी फांसी की सजा बरकरार रखी गई। आखिर में उसने राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दायर की लेकिन, उन्होंने भी खारिज कर दिया। पूरे परिवार को मौत के घाट उतार देने वाली शबनम के जीने की ललक फिर भी खत्म नहीं हुई। उसने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दाखिल किया, जो 23 जनवरी 2020 को नामंजूर हो गया। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश उसी समय रामपुर जेल पहुंच गया। इस पर छह मार्च 2020 को जेल अधीक्षक पीडी सलौनिया ने अमरोहा जिला जज को सूचना दी लेकिन, मार्च में ही कोरोना महामारी के चलते लाकडाउन हो गया। उसपर कोई आदेश प्राप्त नहीं हो सका। हालात सामान्य होने पर जेल अधीक्षक ने 18 जनवरी 2021 को अमरोहा के जिला जज को अग्रिम कार्यवाही के लिए फिर लिखा। इसमें डेथ वारंट जारी करने का अनुरोध किया गया है।
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