श्रमिकों के बैंक खाते में पहुंची रकम, गुप्त तरीके से फैक्ट्री प्रबंधन ने खरीदीं साइकिलें
Dainik Jagran campaign अब तक 41 प्रवासी श्रमिकों को उनकी साइकिलों के घर बैठे पांच से सात हजार रुपये तक मिल चुके हैं।
अमरोहा (अनिल अवस्थी)। दैनिक जागरण की मुहिम के तहत अब तक पांच से सात हजार में नीलाम हो चुकीं 31 साइकिलों के बाद गुरुवार को दस और साइकिलें पांच-पांच हजार रुपये में नीलाम हो गईं। खास बात यह है कि ये नीलामी गुप्तदान से हुई। जागरण के अभियान से प्रभावित होकर जिले की ही एक फैक्ट्री प्रबंधन ने दस साइकिलें लेने की इच्छा जताई। श्रमिकों का ब्योरा मिलते ही फैक्ट्री प्रबंधन ने सीधे श्रमिकों के बैंक खातों में रकम भेजकर उसकी रसीद जिला प्रशासन को उपलब्ध करा दी है।
कोरोना काल में लॉकडाउन में फंसे प्रवासी श्रमिकों को सम्मान के साथ उनकी साइकिलों की कीमत दिलाने को दैनिक जागरण का प्रयास सफलता के सोपान चढ़ता जा रहा है। जागरण में मुहिम शुरू होते ही सबसे पहले जिलाधिकारी उमेश मिश्र समेत उनके मातहत अफसरों ने पांच-पांच हजार रुपये में श्रमिकों की दस साइकिलें खरीदी थीं। इसके बाद शुरू हुआ सिलसिला अनवरत जारी है। पुलिस अधीक्षक डॉ. विपिन ताडा समेत सभी थानेदारों ने भी एक-एक साइकिल खरीद ली। फिर पूर्व सांसद देवेंद्र नागपाल भी इस मुहिम के हिस्सा बन गए। उन्होंने सात-सात हजार में दस साइकिलें खरीदीं। इसके बाद अब जिले में ही संचालित एक फैक्ट्री प्रबंधन ने भी श्रमिकों की मदद में अपना सहयोग देने का एलान किया। मगर उसने शर्त भी रखी कि वह गुप्तदान करना चाहती है। इसके चलते जागरण ने प्रशासन के जरिये फैक्ट्री प्रबंधन को दस श्रमिकों का ब्योरा उपलब्ध करा दिया। फैक्ट्री की ओर से सभी श्रमिकों के बैंक खातों में पांच-पांच हजार रुपये जमा करा दिए गए हैं। साथ ही जमा की गई धनराशि की बैंक रसीद जिला प्रशासन को उपलब्ध करा दी। इसके बाद एसडीएम सदर विवेक यादव जोया स्थित बैंक्वेट हॉल पहुंचकर फैक्ट्री प्रबंधन के लिए दस साइकिलें बाहर निकलवा दीं।
धनौरा तहसील में 21 साइकिलें शेष बचीं
लॉकडाउन के दौरान हरियाण, पंजाब आदि प्रांतों से पैदल व साइकिलों से पूर्वी उत्तर प्रदेश व बिहार को निकले प्रवासी श्रमिकों को प्रशासन ने अमरोहा में ही रोक लिया था। उन्हें बसों के जरिये उनके गंतव्य की ओर भेज दिया गया था। धनौरा तहसील प्रशासन 61 श्रमिकों की साइकिलों को बेचकर उसकी धनराशि उनके बैंक खातों में भेजने के प्रयास कर रहा था। मगर पुरानी साइकिलों का कोई खरीदार नहीं मिल रहा था। दैनिक जागरण ने जब श्रमिकों के सम्मान में अभियान चलाया तो लगातार लोग साइकिल लेने आगे आ रहे हैं। अब वहां महज 21 साइकिलें शेष बची हैं।
इन श्रमिकों की बिकीं साइकिलें
नाम पता
माता प्रसाद सिवान, बिहार
मनोज दास सुपोल, बिहार
गोपाल दास सुपोल, बिहार
पेशकार सुपोल, बिहार
विनोद कुमार सुपोल, बिहार
मन्टू यादव भागलपुर, बिहार
राकेश सुपोल, बिहार
गौरव कुमार सिवान, बिहार
गुड्डू सिवान, बिहार
सोचत राम सिवान, बिहार