गजब मुरादाबाद मेे कबाड़ वेटीलेटर पर भर्ती मरीजाें काे आक्सीजन देता रहा स्टाफ, साहब बताते रहे सब चालू है, जानिए क्या कह रहे अफसर
2020 के कोरोना काल में प्रधानमंत्री राहत कोष से आए तीन वेंटीलेटर जिला अस्पताल के सीवियर एक्यूट रेस्पीरेट्री इंफेक्शन (सारी वार्ड) में कबाड़ बना दिए गए। प्रशासनिक अधिकारियों को सभी के संचालित किए जाने की रिपोर्ट दी जाती रही।
मुरादाबाद, मेहंदी अशरफी। 2020 के कोरोना काल में प्रधानमंत्री राहत कोष से आए तीन वेंटीलेटर जिला अस्पताल के सीवियर एक्यूट रेस्पीरेट्री इंफेक्शन (सारी वार्ड) में कबाड़ बना दिए गए। प्रशासनिक अधिकारियों को सभी के संचालित किए जाने की रिपोर्ट दी जाती रही। हालात ये हैं कि वार्ड में रखे ये तीन वेंटीलेटर इंस्टाल होने के बाद चले ही नहीं। लेकिन, जिला अस्पताल प्रबंधन प्रशासन को को धोखे में रखता रहा कि सारी वार्ड में वेंटीलेटर चालू हैं।
जबकि सच्चाई यह है कि गंभीर हालत में कोरोना संक्रमित के सारी वार्ड में पहुंचने पर कर्मचारियों उन्हें आक्सीजन लगा देते, हालात बिगड़ने पर उन्हें रेफर कर दिया जाता। जिला अस्पताल के सीवियर एक्यूट रेस्पीरेट्री इंफेक्शन (सारी वार्ड) में तीन वेंटीलेटर प्रधानमंत्री राहत कोष से अक्टूबर 2020 में लगाए गए थे। इसके बाद उन्हें इंस्टॉल करने की जद्दोजहद चलती रही। किसी तरह इनके इंस्टाल होने के बाद सारी वार्ड में मरीजों को उपचार शुरू कर दिया गया।
नोडल अधिकारियों के साथ प्रशासनिक अधिकारियों ने भी निरीक्षण किया लेकिन, उन्हें भी सही स्थिति के बारे में नहीं बताया गया। अप्रैल 2021 से कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में गंभीर मरीजों की हालत बिगड़ी तो उन्हें टीएमयू एल थ्री में रेफर किया जाने लगा। कई लोगों को वेंटीलेटर की जरूरत थी, पर उन्हें वेंटीलेटर पर भर्ती नहीं किया जा सका। आक्सीजन बेड की बात कहते रहे।
इतने कर्मचारियों की रहती है वार्ड में ड्यूटी
जिला अस्पताल के सीवियर एक्यूट रेस्पीरेट्री इंफेक्शन (सारी वार्ड) में सुबह आठ से दोपहर दो बजे तक एक इंचार्ज, तीन स्टाफ नर्स, दोपहर दो बजे से रात आठ बजे तक एक इंचार्ज, दो स्टाफ, रात आठ से सुबह आठ बजे तक तीन स्टाफ नर्स की ड्यूटी रहती है। वेंटीलेटर का इनमें से किसी को प्रशिक्षण नहीं दिया गया। इसके कारण कोई भी वेंटीलेटर का संचालन नहीं किया गया।
वेंटीलेटर संचालित करने के लिए नहीं हुई डिमांड
कोरोना की दूसरी लहर का स्वास्थ्य विभाग को पूरा अंदाजा था। जिला अस्पताल में मानसिक तौर पर डॉक्टर भी तैयार थे। लेकिन, धरातल पर तैयारी सिर्फ मौखिक होती रही। वेंटीलेटर संचालित करने के लिए प्रशिक्षित स्टाफ की जरूरत होती है। इसके साथ एनेस्थेटिस्ट की भी शिफ्टवार ड्यूटी रहती है। लेकिन, अभी तक इस वार्ड में एनेस्थेटिस्ट की ड्यूटी नहीं लगाई गई है।
छह से लाख रुपये से वेंटीलेटर की शुरुआत
गंभीर रोगियों की जिंदगी बचाने के लिए वेंटीलेटर की बहुत जरूरी है। इस मशीन की शुरुआत छह लाख रुपये से है। इसके बाद अलग-अलग रेट बढ़ जाते हैं। प्रधानमंत्री राहत कोष से खरीदारी के बाद जिले को वेंटीलेटर दिए गए थे। उस वक्त तो सारी वार्ड में वेंटीलेटर लगाने के लिए पूरी तैयारी की गई। शीशे का कक्ष भी बना दिए गए। इसमें भी अधिक पैसा खर्च हुआ।
सीवियर एक्यूट रेस्पीरेट्री इंफेक्शन (सारी वार्ड) में तीन वेंटीलेटर लगे हैं। जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल किया जाता है। स्टाफ की कमी की वजह से लगातार वेंटीलेटर संचालित नहीं हैं। डॉ. राजेंद्र कुमार, चिकित्सा अधीक्षक जिला अस्पताल
जिला अस्पताल के वेंटीलेटर इंस्टॉल कर दिए गए थे। क्या स्थिति है इसके बारे में जानकारी करेंगे। स्टाफ का अभाव तो है। इसके बारे में जानकारी भी दी जा रही है। डॉ. एमसी गर्ग, मुख्य चिकित्सा अधिकारी