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अमर ¨सह ने रामपुर पहुंचकर गर्माया सियासी माहौल

मुरादाबाद : राज्यसभा सदस्य अमर ¨सह ने सपा नेता आजम खां के शहर में तीखी बयानबाजी की।

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Sep 2018 12:59 PM (IST)Updated: Sat, 01 Sep 2018 02:42 PM (IST)
अमर ¨सह ने रामपुर पहुंचकर गर्माया सियासी माहौल
अमर ¨सह ने रामपुर पहुंचकर गर्माया सियासी माहौल

मुरादाबाद : राज्यसभा सदस्य अमर ¨सह ने सपा नेता आजम खां के शहर में तीखी बयानबाजी कर रामपुर का ही नहीं, बल्कि आसपास के जिलों का भी सियासी माहौल गर्मा दिया। यूं तो वह पहले भी कई बार रामपुर आए, लेकिन इस तरह की बयानबाजी कभी नहीं की। उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर ¨हदुत्व कुंभकर्णी नींद से जाग गया तो आजम को रसगुल्ले की तरह निगल जाएगा। उनके इस बयान की रामपुर के हर गली मुहल्ले में चर्चा हो रही है।

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अमर ¨सह गुरुवार को रामपुर आए और करीब तीन घंटे रुके थे। उन्होंने जो बयानबाजी की, उसे लेकर सियासी पंडित तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं। कोई कह रहा है कि ¨हदू और ¨हदुत्व की बात कर अमर ¨सह ने ¨हदुओं को साधने की कोशिश की है। मुसलमान नाराज न हों, इसलिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैयद को भी भारतरत्न से सम्मानित करने की बात कही। इस तरह की बयानबाजी कर अमर ¨सह ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि अब वह भाजपा के करीब हैं और उनकी करीबी फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा फिर रामपुर से चुनाव लड़ सकती हैं। जयाप्रदा दो बार रामपुर से लोकसभा सदस्य रही हैं। राजनीति के जानकार यही मान रहे हैं कि अगर शिवपाल ¨सह यादव का संयुक्त सेकुलर मोर्चा भी भाजपा के गठबंधन में शामिल होता है तो जयाप्रदा उस मोर्चे की प्रत्याशी होंगी। वैसे भी शिवपाल और अमर ¨सह के बीच अच्छे संबंध हैं।

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जयाप्रदा की वजह से पड़ी दरार

-याद रहे अमर ¨सह लंबे समय तक समाजवादी पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव रहे। आजम तो पार्टी की स्थापना के समय से ही राष्ट्रीय महासचिव हैं, लेकिन एक ही पार्टी में होते हुए भी दोनों में छत्तीस का आंकड़ा रहा। हालांकि पहले दोनों में अच्छे संबंध थे। आजम के बुलावे पर नेताजी के साथ कई बार अमर ¨सह रामपुर आए। वर्ष 2001 के विधानसभा चुनाव से पहले अमर ¨सह, महानायक अमिताभ बच्चन को भी रामपुर लाए थे। जौहर यूनिवर्सिटी में भी अमर ¨सह आते रहे, लेकिन दोनों के बीच दरार की वजह बनीं जयाप्रदा। 2004 के लोकसभा चुनाव में जयाप्रदा सपा के टिकट पर रामपुर से चुनाव लड़ीं और विजयी रहीं, लेकिन चुनाव के कुछ दिन बाद ही जयाप्रदा और आजम के बीच दूरियां बढ़ने लगीं। 2009 का लोकसभा चुनाव आते-आते दोनों के संबंधों में दरार पड़ गई। तब आजम ने जयाप्रदा का साथ नहीं दिया, लेकिन वह चुनाव जीत गईं। इसके बाद आजम को सपा से बाहर कर दिया गया। कुछ समय बाद मुलायम ¨सह यादव ने फिर आजम को पार्टी में शामिल किया। जबकि इससे कुछ दिन पहले अमर ¨सह और जयाप्रदा को पार्टी से निकाल दिया था।


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