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मुरादाबाद में 10 माह में 43 नाबाल‍िगों का अपहरण, ये हकीकत आपको भी कर देगी हैरान

Kidnapping of children अपहृत नाबालिगों में लड़कियों की तादाद चार गुना। दस माह में नौ लड़के व 34 लड़कियों का अपहरण। जून माह में एक लड़की लापता हुई। जुलाई में अपहरण का आंकड़ा चार हो गया। इसमें तीन लड़कियां शामिल रहीं।

By Narendra KumarEdited By: Published: Wed, 02 Dec 2020 05:00 PM (IST)Updated: Wed, 02 Dec 2020 05:00 PM (IST)
मुरादाबाद में 10 माह में 43 नाबाल‍िगों का अपहरण, ये हकीकत आपको भी कर देगी हैरान
जनवरी महीने में कुल छह नाबालिगों का अपहरण हुआ।

मुरादाबाद, जेएनएन।Kidnapping of children। मुरादाबाद में नाबालिग मुस्कान पर ग्रहण लग गया है। महज 10 माह में 43 नाबालिगों का अपहरण इस दावे को बल देता है। चौंकाने वाली बात यह है कि कुल अपहृत नाबालिगों में लड़कों के सापेक्ष चार गुना तादाद लड़कियों की है। संख्या उन लोगों के लिए चिंता का सबब बन गई है, जो बाल मन के समुचित विकास में भय व अविश्वास को बड़ा रोड़ा मानते हैं।

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मुरादाबाद पुलिस के आंकड़े पर गौर करें तो वर्ष 2020 में जनवरी से अक्टूबर माह के बीच नाबालिगों के अपहरण के कुल 43 मुकदमे पंजीकृत किए गए। जनवरी महीने में कुल छह नाबालिगों का अपहरण हुआ। इसमें चार लड़कियां व दो लड़के शामिल रहे। फरवरी माह में एक भी लड़के का अपहरण नहीं हुआ, जबकि अपहृत लड़कियों की तादाद नौ रही। मार्च में एक लड़के व एक लड़की का अपहरण हुआ। अप्रैल माह में अपहरण का कोई भी मुकदमा मुरादाबाद के थानों में दर्ज नहीं हुआ। मई में एक बार फिर पुलिस ने दो नाबालिग लड़कियों के अपहरण का मुकदमा पंजीकृत किया। जून माह में एक लड़की लापता हुई। जुलाई में अपहरण का आंकड़ा चार हो गया। इसमें तीन लड़कियां शामिल रहीं। अगस्त माह में अपहरण का आंकड़ा बढ़ कर आठ हो गया। इसमें तीन नाबालिग लड़के व पांच नाबालिग लड़कियां शामिल रहीं। सितंबर माह में भी अपहृतों का कुल आंकड़ा छह रहा। इसमें सिर्फ लड़कियों की तादाद पांच रही। इसी प्रकार अक्टूबर महीने में यह आंकड़ा पांच पहुंचा। इस महीने में एक लड़के व चार लड़कियाें का अपहरण हुआ। राहत की बात यह रही कि कुल अपहृत नाबालिगों में से 35 की बरामदगी करने में पुलिस को सफलता मिली। बरामद नाबालिगों में 29 लड़कियां व छह लड़के शामिल हैं। तीन लापता लड़कों व पांच लड़कियों की तलाश पुलिस अभी भी कर रही है।

अपहरण का बाल मन पर गहरा दुष्प्रभाव

जीवन के पहले ही पड़ाव पर अपहरण जैसी घटना बाल मन पर गहरा दुष्प्रभाव छोड़ती है। एक बच्चा अपने घर व परिवार को सुरक्षित स्थान के रूप में देखता है। अचानक घर से दूर होने से बच्चों में असुरक्षा के भाव पैदा होते हैं। बड़े होने पर ऐसे बच्चे किसी पर भरोसा अथवा विश्वास नहीं करते। अपहरण के शिकार बच्चे खुद को असहाय महसूस करते हैं। अपहरण के शिकार बच्चे व्यक्तित्व की पहचान करने में भी असमर्थ होते हैं। अपहृत बच्चे मानसिक विकृति तक के शिकार हो जाते हैं।

अंजली महलके, बाल मनोविज्ञानी

बचपन को गुमराह होने अथवा अपहरण जैसी घटनाएं रोकने के लिए पुलिस पूरी तरह प्रतिबद्ध है। यही वजह है कि पुलिस ने अपहरण के जो मुकदमे बीते आठ माह में दर्ज किए हैं, उनमें से लगभग 90 फीसद अपहृतों की बरामदगी भी कर ली है। ऐसी घटनाएं रोकने में अपनों को भी आगे आना होगा। मां-बाप बच्चों को अपनी निगरानी में रखें। तभी अपहरण जैसी घटनाओं के आंकड़े कम हो सकते हैं।

प्रभाकर चौधरी, एसएपी मुरादाबाद।

आकंड़े

माह      बालक     बालिका

जनवरी   02          04

फरवरी 00          09

मार्च 01          01

अप्रैल -          -  

मई -              0 2

जून -    01

जुलाई 01        03

अगस्त 03        05

सितंबर 01        05

अक्टूबर 01       04

बरामदगी 06      29


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