जैविक खेती से कृषि लागत कम होने के साथ होगी पर्यावरण की सुरक्षा
विकास खंड नरायनपुर के रुपौधा गांव में चल रही किसान पाठशाला के अंतिम दिन विशेषज्ञों ने किसानों को खेती की लागत कम करने के महत्वपूर्ण टिप्स दिए। कृषि विशेषज्ञों ने कहा कि किसान भाई परंपरागत और आधुनिक कृषि तकनीकी का समन्वय कर इस तरह खेती करें कि कृषि विविधिकरण के साथ साथ खेती की लागत कम हो।
जागरण संवाददाता, चुनार (मीरजापुर) : विकास खंड नरायनपुर के रुपौधा गांव में चल रही किसान पाठशाला के अंतिम दिन विशेषज्ञों ने किसानों को खेती की लागत कम करने के महत्वपूर्ण टिप्स दिए। कृषि विशेषज्ञों ने कहा कि किसान भाई परंपरागत और आधुनिक कृषि तकनीकी का समन्वय कर इस तरह खेती करें कि कृषि विविधिकरण के साथ साथ खेती की लागत कम हो। पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोका जा सके और और गुणवत्तायुक्त उत्पादन मिले।
सहायक विकास अधिकारी कृषि केके सिंह ने ने पाठशाला के अंतिम चरण में उपस्थित किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि जैविक खेती के प्रयोग से ही कृषकों की आय में भी वृद्धि हो सकती है। लाभकारी खेती के विभिन्न उपायों पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि आज के परिवेश में जैविक खेती अत्यंत आवश्यक है। इसकी आवश्यकता एवं महत्ता, तकनीकी, जैव कीट एवं रोग नियंत्रण तथा जैविक प्रमाणीकरण प्रक्रिया पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए बताया कि सफल जैविक खेती हेतु मिश्रित फसल प्रणाली, फसल चक्र का अनुपालन और जैविक उर्वरकों के उपयोग की महत्वपूर्ण भूमिका है। साथ ही कृषि लागत को कम करने वं अधिक आय हेतु बीज शोधन, कृषि यांत्रिकरण, समुचित सिचाई प्रबंधन,कीट व रोग नियंत्रण हेतु एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन तथा फसल कटाई उपरांत फसल प्रबंधन के प्रति कृषकों को जागरूक होना पड़ेगा। जिसके ²ष्टिगत प्रदेश के बांदा व झांसी में रु.10 लाख की लागत से एक एक ऑर्गेनिक आउटलेट की स्थापना की गई है तथा गोमती नगर लखनऊ में जैविक कृषि बाजार का आयोजन प्रत्येक माह के प्रथम एवम तृतीय शनिवार व रविवार को किया जाता है। इस मौके पर बुन्नाराम, मुकुटधारी सिंह, संदीप सिंह, रमाशंकर सिंह, धर्मराज सिंह छोटेलाल, मनीराम, नामवर सिंह आदि कृषक उपस्थित थे। संचालन अग्रणी कृषक धनंजय सिंह ने किया।