आपस में समझें विवाद तो न्यायालय तक न पहुंचे घर की बात
न्यायाधीश ने तीन परिवारों में कराया सुलह तो वे एकसाथ रहने को हुए तैयार तीन लोगों के विव
न्यायाधीश ने तीन परिवारों में कराया सुलह तो वे एकसाथ रहने को हुए तैयार
तीन लोगों के विवाह विच्छेद होने पर एक मुश्त भरण पोषण राशि दिलाया
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर पारिवारिक मामलों के निस्तारण के लिए पारिवारिक न्यायालय में लोक अदालत का आयोजन किया गया। जनपद न्यायाधीश लालचंद गुप्ता के आदेशानुसार महिलाओं के हितार्थ दो मार्च से लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा था।
पारिवारिक न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश दिवाकर प्रसाद चतुर्वेदी ने लोक अदालत में सुलह-समझौता के आधार पर रिता देवी व चंद्रदीप, गीता देवी व बब्बू, मीरा देवी व भानू मिश्रा को एक साथ रहने के लिए राजी किया। साथ ही अनीता मौर्या व सूरज मौर्या, शीला व अमरनाथ, सत्यमिदर व विनय कौर को सुलह के माध्यम से (विवाह-विच्छेद) एक मुश्त भरण-पोषण राशि दिलाया और ये सभी अलग-अलग रहने को राजी हुए। प्रधान न्यायाधीश ने बताया कि महिलाओं के पारिवारिक मामलों में प्रतिदिन न्यायालय में सुलह-समझौता कराया जाता है। पीड़ित महिलाएं अपने मुकदमों में सुलह-समझौता कराकर लाभांवित हो सकती हैं। पूर्ण कालिक सचिव अमित कुमार यादव द्वितीय ने पति-पत्नी को एक साथ रहने के लिए सुझाव दिया। बताया कि प्रत्येक घर में छोटे-छोटे विवाद होते रहते हैं और घर की बात न्यायालय तक न पहुंचे, इसलिए आपस में ही समझ लेना चाहिए। इस दौरान डीएलएसए वरिष्ठ सहायक दीपक श्रीवास्तव, परिवार न्यायालय के कर्मचारी व काउंसलर मौजूद रहे।