विध्य धाम में ढाई लाख भक्तों ने लगाई हाजिरी
विध्यवासिनी देवी मां के दरबार में माघी पूर्णिमा के अवसर पर रविवार को श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। दोपहर तक ढाई लाख श्रद्धालुओं ने मां के चरणों में शीश नवाकर पूजा अर्चना की। इस दौरान गंगा घाटों पर भी काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई तथा मुंडन संस्कार व यज्ञोपवित कराया।
जागरण संवाददाता, विध्याचल (मीरजापुर) : विध्यवासिनी देवी मां के दरबार में माघी पूर्णिमा के अवसर पर रविवार को श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। दोपहर तक ढाई लाख श्रद्धालुओं ने मां के चरणों में शीश नवाकर पूजा अर्चना की। इस दौरान गंगा घाटों पर भी काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई तथा मुंडन संस्कार व यज्ञोपवित कराया। भीड़ के चलते विध्यधाम के समस्त गलियां श्रद्धालुओं से पटी रही। हालांकि मंदिर में सुरक्षा अव्यवस्था के चलते लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
चतुर्दशिक की रात से ही मां के भक्त ट्रेन, बस तथा निजी साधनों से अपने परिवार संग पहुंचने लगे। होटलों, लाज तथा धर्मशालाओं में रात में ठहर रहे। भोर में तीन बजे के लगभग लोग गंगा घाटों पर पहुंचकर आस्था की डुबकी लगाने के बाद मंदिर के तरफ बढ़ चले। पुजारी द्वारा मंगला आरती करने के पूर्व ही मंदिर परिसर के आसपास श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लग गई और आरती करने के बाद कपाट खुलते ही श्रद्धालु मां का भव्य रूप देखने के लालायित रहे। हालांकि सुरक्षा व्यवस्था के चलते लोग मां का दर्शन पूजन कतारबद्ध होकर किया। इस दौरान दोनों प्रवेश द्वार पर दो-दो लाइन लगी रही। इसके साथ ही झांकी से दर्शन करने के लिए लोगों की लंबी लाइन लगी रही। मां का दर्शन पूजन करने के बाद लोगों ने मंदिर के छत पर अपने बच्चों का मुंडन संस्कार कराया साथ ही यज्ञोपवित भी कराया। महिलाओं ने लिए श्रृंगार के सामान
दर्शन पूजन करने के बाद महिलाओं ने दुकानों से अपने लिए तथा परिवार की महिलाओं के लिए श्रृंगार के सामानों की जमकर खरीदारी की। ऐसे में प्रसाद के रूप में सिदूर तथा चुनरी के साथ ही घरेलू सामानों की भी खरीदारी की। इसके अलावा अन्य दुकानों पर लोगों की भीड़ जुटी रही। वही पुरुषों ने भी अपने लिए मनपसंद चुनरी तथा लाठी प्रसाद के रूप में खरीदे साथ ही बच्चों ने अपने लिए खिलौने आदि लिए। श्रद्धालुओं से पटी रही गलियां
न्यू वीआइपी, पुरानी वीआइपी, कोतवाली रोड के अलावा विभिन्न गलियां श्रद्धालुओं से सुबह से ही पटी रही। साथ ही मां के जयकारे से मंदिर परिसर गुंजता रहा। इस दौरान विध्याचल मंदिर के पास बने बगीचे में महिलाओं ने प्रसाद के रूप में हलुआ पूड़ी बनाकर चढ़ाया।