ट्रामा सेंटर का न होना पड़ रहा भारी, हादसे में मौतें जारी
जनपद में रोजाना औसतन चार से पांच दुर्घटनाएं होना आम बात है। जबकि किसी दिन तो चार से पांच लोगों की मौत इन दुर्घटनाओं की वजह से हो जाती है। जिला अस्पताल में यदि ट्रामा सेंटर की व्यवस्था होती तो संभवत दो घायलों की जान रोजाना बचाई जा सकती है।
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : जनपद में रोजाना औसतन चार से पांच दुर्घटनाएं होना आम बात है। जबकि किसी दिन तो चार से पांच लोगों की मौत इन दुर्घटनाओं की वजह से हो जाती है। जिला अस्पताल में यदि ट्रामा सेंटर की व्यवस्था होती तो संभवत : दो घायलों की जान रोजाना बचाई जा सकती है।
हालात ये हैं कि यहां के मरीजों को 50 किमी से ज्यादा का सफर तय करके बीएचयू ट्रामा सेंटर जाना पड़ता है। जिससे कई मरीजों की रास्ते में मौत हो जाती है। जिले में ट्रामा सेंटर की मांग काफी अर्से से रही और शासन द्वारा यहां ट्रामा सेंटर का निर्माण पूरा भी करा दिया गया है लेकिन अभी तक इसे शुरू नहीं किया जा सका। देहात कोतवाली क्षेत्र की एक घटना में चाचा ने भतीजे पर कुल्हाड़ी से वार किया था जिसे वाराणसी ले जाते समय रास्ते में ही मौत हो गई। हाल में अहरौरा व अदलहाट क्षेत्र में हुई दुर्घटनाओं में घायलों ने वाराणसी पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया। केस नंबर एक : ---तो तीव्र मोड़ ने ले ली सास-बहू और नाती की जान
सड़क दुर्घटनाओं में एक व्यक्ति की ही मौत नहीं होती बल्कि उससे जुड़े परिवार के लोग भी जीते जी मौत को महसूस करते हैं। कई बार हादसों में एक ही परिवार के कई लोग असमय काल के गाल में समा जाता है। 11 मार्च 2019 की शाम भी एक गांव के कई परिवार गड़बड़ा धाम से दर्शन कर लौट रहे थे। रास्ते में एक तीव्र मोड़ पर तेज रफ्तार ट्रैक्टर अनियंत्रित होकर पलट गई। उसी वक्त पीछे से आ रही दूसरी ट्रैक्टर भी वहीं पलट गई जिसमें एक ही घर की सास-बहू और नाती की दर्दनाक मौत हो गई। इस दर्दनाक हादसे में दुर्घटना के बाद का मंजर काफी भयावह था। तीस से ज्यादा लोग ट्रैक्टर की चपेट में आए जिनमें से एक ही गांव के 15 से ज्यादा लोग घायल हुए जिनको गंभीर चोटें आईं। मौके पर चीख-पुकार और रोना सुनकर सैकड़ों की भीड़ जमा हो गई। आननफानन में सभी को लालगंज स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया। आज भी वह परिवार उस शाम को नहीं भूल पाया है जब उनका ट्रैक्टर मोड़ पर अनियंत्रित हो गया है और पलट गया। उस वक्त सभी लोग ट्रैक्टर ट्राली पर सवार थे और दर्शन कर हंसी-खुशी अपने घर को लौट रहे थे। बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग सभी लोग ट्राली में ही सवार रहे। हादसे के बाद पहुंची पुलिस ने जब वह नजारा देखा तो सबके होश उड़ गए। उच्चाधिकारियों को भी सूचना दी गई और जिले से बचाव टीम मौके पर पहुंची। स्थानीय लोगों की मानें तो मोड़ पर मुड़ते समय सामने से चारपहिया वाहन आ गया जिसे बचाने के चक्कर में यह हादसा हुआ। इस हादसे में चार लोग गंभीर घायल हुए जो अभी भी बिस्तर से उठ नहीं सके हैं। केस नंबर दो : होती ट्रामा सेंटर की सुविधा तो बच जाती जान
बीते 31 मई को विध्याचल थाना क्षेत्र के गहिरा गांव निवासी रवि कुमार पुत्र लल्लू (17) अपनी बुआ के घर आयोजित एक शादी कार्यक्रम में जा रहा था। आटो में दस यात्री सवार थे। रात करीब नौ बजे आटो जैसे ही देहात कोतवाली थाना क्षेत्र में भरुहना चौराहा के पास पहुंची कि अनियंत्रित होकर आटो पलट गई। आटो पलटते ही उसमें सवार रवि समेत अन्य लोग घायल होकर चिखने-चिल्लाने लगे। मौके पर पहुंचे आसपास के लेागों ने पुलिस की मदद से सभी को बाहर निकलवाया। गंभीर रूप से घायल रवि को मंडलीय अस्पताल लाया गया जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। यदि ट्रामा सेंटर की सुविधा होती तो जान बच जाती। केस नंबर तीन : देर से इलाज बना मौत का कारण
बीते जनवरी महीने में अहरौरा थानाक्षेत्र के महुली चौराहे के पास घायल बुद्धू (60) का उपचार के दौरान ट्रामा सेंटर वाराणसी में मौत हो गई। वाराणसी-शक्तिनगर रोड पर स्थित महुली चौराहे के पास सोनभद्र से वाराणसी की तरफ जा रहे किसी वाहन के धक्के से बुद्धू गंभीर रूप से घायल हो गए थे। वहीं दूसरी घटना लालगंज-हलिया रोड पर चौदहवां गांव के पास साइकिल सवार वृद्ध की बोलरो के धक्के से मौत हो गई। दोनों घटनाओं में घायलों को समय से इलाज मिला होता तो उनकी जान बचाई जा सकती थी। केस नंबर चार : तेज रफ्तार बाइक से घायलों को बचाना मुश्किल
बीते महीने कछवां थानाक्षेत्र के कछवां-चुनार घाट राज्यमार्ग 74 पर रविवार की सुबह खैरा पुलिस चौकी के सामने हुई कार और बाइक के टक्कर में घायल बाइक सवार मनोज कुमार यादव (25) की वाराणसी के ट्रामा सेंटर में उपचार के दौरान मौत हो गई। वाराणसी के रोहनिया थाना क्षेत्र के तिलंगा निवासी मनोज कुमार यादव अपनी बाइक से कछवां की तरफ सुबह के समय जा रहे थे। खैरा पुलिस चौकी के पास ट्रक से पास लेते समय सामने से आ रही तेज रफ्तार वाहन ने बाइक में टक्कर मार दिया। जिससे मनोज गंभीर रूप से घायल हो गए। घायल को पहले कछवां स्वास्थ्य केंद्र लाया गया जहां से इसे ट्रामा सेंटर भेजा गया। यदि पहली बार में ही युवक को ट्रामा सेंटर पहुंचाया जाता तो जान बच जाती।
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मीरजापुर में सड़क हादसे
- बीते एक साल में हुए सड़क हादसे - 537
- बाइक से हादसे - 280
- ट्रक, ट्रैक्टर, बस दुर्घटना 118
- सड़क हादसों में मौत- 247
-हादसों में घायलों की संख्या-318
- सबसे ज्यादा हादसे तीनों हाइवे पर
- तीव्र मोड़ और तेज गति हादसों के कारण
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