स्वामी अड़गड़ानंद का दर्शन करने आश्रम पहुंचे हजारों भक्त
जागरण संवाददाता चुनार (मीरजापुर) एक तरफ सर्द हवाओं के साथ चल रही शीतलहर का अहसास
जागरण संवाददाता, चुनार (मीरजापुर) : एक तरफ सर्द हवाओं के साथ चल रही शीतलहर का अहसास और दूसरी तरफ अपने गुरु की चरण रज पाने को आतुर श्रद्धालु। भक्तों में ऊर्जा का संचार, कुछ ऐसा ही ²श्य था साल के पहले दिन शनिवार को सक्तेशगढ़ स्थित परमहंस आश्रम का, जहां स्वामी अड़गड़ानंद महराज की चरण रज लेने को आस्थावानों का रेला उमड़ पड़ा था।
महराज ने भी अपने भक्तों का पूरा मन रखा और सुबह से ही फूलों से सुसज्जित अपने आसन पर विराजमान हो गए। इसके बाद भक्तों को दर्शन देकर निहाल किया।
भारतीय संस्कृति को विश्व की सबसे सबसे समृद्ध और विशाल बताते हुए कहा कि हमारी भाषा, संस्कृति, पुरातन और प्राचीन है। भारतीय संस्कृति की व्यापकता पर अपने विचारों को रखते हुए उन्होंने भारतीय भाषा के अनुसार वर्षभर के सभी महीनों की व्याख्या की। कहा कि जनवरी सबको जन के रूप में वरण करती है और फरवरी फलदायक है और सत्संग का मार्ग पकड़ कर मोक्ष रूपी फल की प्राप्ति करें। अन्य महीनों का भी विस्तार से वर्णन किया। स्वामी अड़गड़ानंद ने गीता को परमात्मा के मुख से निकली वाणी बताते हुए कहा कि यही मानव मात्र का धर्मशास्त्र है। गीता सबका मूल है, सबका उद्गम है, सृष्टि के आदि से परमात्मा की वाणी है। महराज के गगनभेदी जयघोष के बीच गुरु का शिष्यों को दर्शन देने का सिलसिला चलता रहा। आश्रम के वरिष्ठ संत नारद बाबा व्यवस्था में लगे रहे। इस दौरान आश्रम के कई संत मौजूद थे।