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कागज पर होती रही सिचाई, हवा में पहरेदारी, नर्सरी थी ही नहीं

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By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Jun 2020 07:28 PM (IST)Updated: Mon, 29 Jun 2020 11:19 PM (IST)
कागज पर होती रही सिचाई, हवा में पहरेदारी, नर्सरी थी ही नहीं
कागज पर होती रही सिचाई, हवा में पहरेदारी, नर्सरी थी ही नहीं

जासं, मड़िहान (मीरजापुर) : विढम फाल वनरेंज में बीते अक्टूबर में ही साढ़े तीन लाख पौधों की नर्सरी लगाने का बजट आया। विभागीय कर्मचारियों ने इस बजट का गबन करने के लिए कागज पर ही नर्सरी उगाने का खेल कर दिया और बाकायदा इसकी प्रगति रिपोर्ट भी बनती रही। मामला प्रकाश में आया तो महकमे ने नर्सरी प्रभारी को निलंबित कर मामले पर पानी डालने का काम किया लेकिन अधिकारियों की नाक के नीचे आठ महीने से इतना बड़ा घोटाला चलता रहा और इसकी भनक किसी को नहीं लगी।

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विढम फाल वन रेंज में धरती पर पौधों की नर्सरी लगाई ही नहीं गई लेकिन उसकी देखभाल पर भी खर्च दिखाया गया। जो पौधे अस्तित्व में ही नहीं थे आठ महीने से उनको खाद-पानी दिया जा रहा था और बीच-बीच में दवा का भी छिड़काव किया गया। इस नकली नर्सरी की रखवाली के लिए सुरक्षागार्ड भी तैनात था और हर महीने की प्रगति रिपोर्ट भी अधिकारियों तक पहुंचती रही। लेकिन मामला जब प्रकाश में आया तो वन विभाग ने नर्सरी प्रभारी सुनील राव को निलंबित किया और वन दारोगा व रेंजर को आरोप पत्र देकर अपने क‌र्त्तव्यों की इतिश्री कर ली। समय रहते मामला उजागर न हुआ होता तो यही कागजी पौधे जंगल में लगा दिए जाते और अगले तीन साल तक इनके रखरखाव का बजट भी अधिकारियों की जेब में जाता। इतना सब होने के बाद भी विभागीय अधिकारी मामले की लीपापोती में जुट गए हैं।

बिना पौधों के ही लेते रहे प्रगति रिपोर्ट

वन दारोगा, रेंजर, एसडीओ, डीएफओ आदि बिना तैयार हुए पौधों के तैयार होने की प्रगति रिपोर्ट लेते रहे। जब पौधारोपण करने की बारी आई उससे पहले ही सारे पौधे गायब हो गए। यह सुनकर क्षेत्र के लोग भी हैरान हैं कि आखिर में जब आठ महीने से नर्सरी तैयार की जा रही थी तो अचानक पौधे कहां गायब हो गए। इतने दिनों तक जिम्मेदार अधिकारियों की निगाह क्यों नहीं पड़ी। विभागीय अधिकारियों की मानें तो यह बेहद गंभीर मामला है क्योंकि इसी तरह का मामला पटेहरा रेंज में भी सामने आया है। यहां भी पौधे गायब होने की शिकायत की गई है।

--------वर्जन

पूरे मामले की तह तक जाकर जांच कराई जा रही है और इसमें और भी कुछ बड़े मामले उजागर हो सकते हैं। ऐसी ही शिकायत अन्य जगहों से मिली है, जिसकी जांच कराई जा रही है।

- रमेश चंद्र झा, मुख्य वन संरक्षक


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