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फिर वाहन स्टैंड बना कलेक्ट्रेट, कचहरी व अस्पताल रोड

जागरण संवाददाता मीरजापुर शहर के बाजारों और मोहल्लों की सड़कें तेजी से संकरी होत

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 Sep 2021 06:50 PM (IST)Updated: Tue, 14 Sep 2021 06:50 PM (IST)
फिर वाहन स्टैंड बना कलेक्ट्रेट, कचहरी व अस्पताल रोड
फिर वाहन स्टैंड बना कलेक्ट्रेट, कचहरी व अस्पताल रोड

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : शहर के बाजारों और मोहल्लों की सड़कें तेजी से संकरी होती जा रही हैं। लोगों ने अपने वाहनों के लिए सड़कों को ही गैराज बना रखा है। आटो व ई-रिक्शा की तो बात ही मत कीजिए। सवारी के हाथ दिखाई देते ही ई-रिक्शा रूक जाती है, मानो जैसे रेड सिग्नल दिखाई दिया हो। कलेक्ट्रेट रोड व अस्पताल रोड तो वाहन स्टैंड बन गया है। नियम कानून का पालन कराने के लिए जिम्मेदार भी लापरवाह हैं। कभी-कभी तो डीएम-एसपी व अन्य अधिकारी भी जाम के झाम से जूझते हैं, फिर भी समस्या बरकरार है।

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कलेक्ट्रेट, कचहरी व अस्पताल रोड एक बार फिर वाहन स्टैंड में तब्दील हो गया है। यहां पूरे दिन ई-रिक्शा व अन्य सवारी वाहन पूरे दिन सवारी उतार व बैठा रहे हैं। इसके चलते राहगीरों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अतिक्रमण के शिकार अस्पताल रोड, कचहरी रोड को कुछ दिनों पहले खाली कराया गया। इसके बाद लोगों को आने-जाने में सहूलियत होने लगी। इसी बीच ई-रिक्शा व चार पहिया वाहनों ने कलेक्ट्रेट व कहचरी रोड को स्टैंड बना लिया है। ऐसे में पूरे दिन शहर-बाजार आने-जाने वाले लोग काफी परेशान होते हैं। शहर को जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए कचहरी से सिविल लाइन तक नो वेंडिग जोन घोषित किया गया। इसके लिए अभियान चलाकर अतिक्रमण भी हटवाया गया, फिर भी समस्या जस की तस बनी है।

जिला पंचायत से कलेक्ट्रेट गेट तक दोनों तरफ ई-रिक्शा व टेंपो का अड्डा बन गया है। पटरियों से लेकर सड़कों के किनारे का हिस्सा इन्हीं वाहनों के कब्जे में रहता है। अगर कभी अधिकारी गुजरे तो हूटर की आवाज पर ये वाहन साइड हो जाते हैं, लेकिन फिर हालात जस के तस हो जाते हैं। सड़क के दोनों ओर वाहन खड़े करने से मार्ग संकरे हो गए हैं। इससे यहां से बड़े चार पहिया वाहन नहीं निकल पाते हैं। वाहनों की पार्किंग होने से आए दिन जाम की समस्या उत्पन्न होती है। यातायात व्यवस्था भी पूरी तरह फेल है। कहने को तो हर चौराहे व तिराहे पर पुलिस तैनात रहती है, लेकिन यातायात व्यवस्था से जैसे उन्हें कोई मतलब नहीं होता। वे सड़क किनारे कुर्सी लगाए बैठे दिखाई पड़ते हैं या फिर किसी दुकान पर चाय-नाश्ता करते नजर आते हैं। जाम की स्थिति उत्पन्न होने के बाद भी वे सड़क पर नहीं उतरते। ऐसा लगता है जैसे उन्हें यातायात नियमों की जानकारी ही नहीं है।


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