धनुष टूटते ही भगवान राम के जयकारे से गूंज उठा पंडाल
जागरण संवाददाता हलिया (मीरजापुर) आदर्श रामलीला कमेटी ड्रमंडगंज के तत्वावधान में चल रह
जागरण संवाददाता, हलिया (मीरजापुर) : आदर्श रामलीला कमेटी ड्रमंडगंज के तत्वावधान में चल रहे पंद्रह दिवसीय रामलीला के आठवें दिन मंगलवार को कलाकारों ने राजा जनक के दरबार में सीता स्वयंवर के लिए रखे गए भगवान शिव जी के धनुष को उठाते ही भगवान राम ने पल भर में तोड़ने का मंचन किया। धनुष टूटते ही भगवान राम के जयकारों से पंडाल गूंज उठा। उसके बाद सीता ने भगवान राम के गले में वरमाला पहना दी। धनुष टूटने की जानकारी मिलते ही परशुराम जनक के दरबार पहुंच गए और टूटे शिव धनुष को देख क्रोध में आ गए। इसे देख सीता जी की मां सुनयना घबराने लगी। सीता के परिवार को घबराते देख भगवान राम परशुराम से बोले शिव का धनुष तोड़ने वाला कोई और नहीं है आपका ही कोई सेवक ही होगा। वही लक्ष्मण ने कहा कि ये धनुष तो भगवान के हाथ लगाते ही टूट गया है इसमें रघुनाथ जी का तो कोई दोष ही नहीं है। इतना सुनते ही परशुराम क्रोधित होकर लक्ष्मण को फरसा से मारने के लिए दौड़ पड़ते हैं। कलाकारों का कुशल मंचन देख दर्शक भावविभोर हो गए। इस दौरान कमेटी के अध्यक्ष ओंकार नाथ केशरी, उमारमण सिंह, कैलाश केशरी, लवकुश केशरी, पिटू केशरी, प्रमोद पांडेय आदि मौजूद रहे।
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शूर्पणखा का नाक कटते ही बच्चों संग पुरुषों ने बजाई ताली
जागरण संवाददाता, अहरौरा (मीरजापुर) : लंकापति रावण की बहन शूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूर्पणखा की नाक कटने और खर-दूषण जैसे बलवान भाइयों की मौत का मंचन किया गया। मंचन के दौरान राम-लक्ष्मण जब शूर्पणखा के रिझाने में नहीं आते हैं तो वह अपना राक्षसी रूप धारण कर माता सीता पर झपट्टा मार देती है। इससे क्रोधित होकर लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक तलवार से काट देते हैं। वह सहायता के लिए अपने भाई खर और दूषण के पास जाती है। दोनों अपनी बहन के अपमान का बदला लेने के लिए जाते हैं, और भगवान राम के हाथों मारे जाते हैं। इस दौरान कन्हैया, विकास, धीरज, पुण्य, बृजेश, सतीश, कामेश्वर,अरविद , रवींद्र, विपिन केसरी, अश्वनी, कान्हा आदि थे। व्यास शिरीष चंद्र ने दोहा का गायन किया।