सामूहिक प्रयास से ही मिलती है सफलता
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : मनुष्य का स्वभाव चंचल होता है। वह पल में कुछ सोचता है और पल में कुछ कर डालता है। इन दोनों में जो समन्वय
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : मनुष्य का स्वभाव चंचल होता है। वह पल में कुछ सोचता है और पल में कुछ कर डालता है। इन दोनों में जो समन्वय स्थापित कर लेता है। वही जीवन में सफलता प्राप्त करता है। मनुष्य चूंकि समाज में रहता है इसलिए उसका प्रयास भी सदैव सामाजिक ही होना चाहिए। कहने का तात्पर्य कि यदि वह कुछ करना चाहता है तो ऐसा करें कि उसका लाभ पूरे समाज को मिले।
यदि किसी की मदद करनी है अथवा किसी कार्य को पूरा करना है तो इसके लिए स्वयं का प्रयास तो होता ही है लेकिन प्रयत्न यह होना चाहिए कि इससे कई लोगों को जोड़ा जाए। इसका फल यह होगा कि इससे पूरे समाज में एक संदेश जाएगा कि यह कार्य हो रहा है। मनुष्य में मैं नहीं हम की भावना होनी चाहिए। हम लोग देखते हैं कि कई बार ऐसे सार्वजनिक कार्य होते हैं जिनके लिए बड़े- बड़े गणमान्य लोग झुंड में निकल कर चंदा इकट्ठा करते हैं। चंदा इकट्ठा करने के पीछे यह भावना कतई नहीं होती कि वह उस कार्य को अकेले नहीं कर सकते बल्कि उसके पीछे यह भावना निहित होती है कि इसी तरह से उनको पूरे समाज की शक्ति या पूरे समाज का समर्थन प्राप्त होता है। हमको भी चाहिए कि हम जो भी कार्य करें उससे कुछ लोगों को जोड़े। इससे एक ओर जहां कुछ अन्य लोगों को जानकारी होगी वहीं कुछ और लोग भी इससे जुड़ने का प्रयास करेंगे। शिक्षा हो या समाज सुधार का कार्य हो, इस प्रकार के सभी कार्य सामूहिक रूप से अथवा संगठन के माध्यम से किए जाते हैं। उंगलियां भी जब जुड़ती हैं तो मुट्ठी की शक्ल लेती हैं जो कि अधिक ताकतवर होती है। एक-एक धागा जुड़कर रस्सी बनती है। संगठन में सदैव शक्ति होती है। हमें अपने परिवार व संगठन को भी एक साथ लेकर चलता चाहिए। सफलता हमें जरूर मिलेगी।
- शोभा खत्री, प्रधानाचार्य तिलठी राजकीय हाईस्कूल, मीरजापुर।