मृदा परीक्षण से सुधरेगी कृषि, आएगी सम़द्धि
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : विश्व मृदा परीक्षण दिवस के अवसर पर मंगलवार को दैनिक जागरण के
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : विश्व मृदा परीक्षण दिवस के अवसर पर मंगलवार को दैनिक जागरण के तत्वावधान में एक गोष्ठी आयोजित की गई। इसमें किसानों को मृदा परीक्षण की जानकारी दी गई। मृदा परीक्षण करा कर खेती करने वाले 42 किसानों को प्रशस्ति प्रमाण पत्र वितरित किया गया।
जिला पंचायत सभागार में आयोजित गोष्ठी में संयुक्त निदेशक कृषि आर के यादव ने कहा कि मिट्टी की सेहत खराब हो चुकी है। उसकी सेहत से ही हम सबका स्वास्थ्य है। ज्यादा उत्पादन के चक्कर में अंधाधुंध हो रहे रसायनिक उर्वरक व कीट नाशक दवाओं के बेतरतीब प्रयोग से उत्पादन होने वाला अनाज व साग सब्जी भी जहरीला हो गया है। इसको खाने से तरह-तरह की बीमारियां फैल रही हैं। उर्वरक व कीट नाशक दवा पर रोक नहीं लगी तो आने वाला कल और भयावह होगा।
डिप्टी डाइरेक्टर कृषि अशोक कुमार उपाध्याय ने कहा कि आज विश्व मृदा परीक्षण दिवस है। इस मौके पर आयोजित गोष्ठी का बस इतना ही तात्पर्य है कि किसान खेती करने से पूर्व अपनी मिट्टी की जांच अवश्य करा लें। मिट्टी में जिस तत्व की कमी हो उसी के अनुरूप खाद व दवा का प्रयोग करें तो बेहतर उत्पादन होगा। उन्होंने कहा कि रसायनिक उर्वरक व कीट नाशक दवाओं के प्रयोग के बिना किसान इससे बेहतर उत्पादन कर रहे हैं। उसकी पूर्ति जैविक खाद व कंपोस्ट खाद से की जा सकती है। जहां तक कीट नाशक दवा की बात है तो किसान गोमूत्र, सुर्ती, मदार का पत्ता आदि को सड़ा कर कीट नाशी दवा बना कर उसका प्रयोग करें। यह सब बिना लागत के तैयार हो जाएगी। इससे खेती की लागत कम हो जाएगी व उत्पादन भी प्रभावित नहीं होगा।
सिटी ब्लाक के एडीओ कृषि वासुदेव पाठक ने कहा कि किसानों को पशु पालन अपनाना होगा। इससे जहां उनको जैविक व कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए पर्याप्त गोबर मिलेगा वहीं दूध भी मिलेगा। यदि देशी गाय का पालन करें तो सबसे अति उत्तम होगा। देशी गाय व उसके गोबर में जो गुण है वह किसी अन्य पशु में गोबर में नहीं है। देशी गाय के मूत्र से ही कीट नाशी दवाएं बनाई जाती है। इसलिए दुधारू पशुओं के साथ देशी गाय अवश्य रखें। उन्होंने कीट नाशक दवा बनाने के बारे में जानकारी दी।
सीखड़ ब्लाक से प्रगतिशील किसान नरेंद्र मिश्र ने अपने 47 साल के खेती के अनुभव को बताया। कहा कि पहले वे भी रसायनिक उर्वरक व कीट नाशक दवाओं का प्रयोग कर गन्ना आलू मटर व साग सब्जी की खेती करते थे। लेकिन अब यह सब त्याग कर जैविक व कम्पोस्ट खाद की खेती करने लगे हैं। उन्होंने किसानों से अपेक्षा किया कि वे रसायनिक उर्वरक व कीट नाशक दवाओं का प्रयोग न करें जहां तक हो सके कम से कम प्रयोग करें। साग सब्जी व फसलों की ¨सचाई के लिए स्प्रिंक्लर का प्रयोग काफी लाभदायक होता है। इससे पानी की बचत होती है। उन्होंने मटर की खेती का अनुभव बताया कहा कि मटर की कुछ खेती मशीन की ¨सचाई व कुछ खेती स्प्रिंक्लर से किया था। इसमें स्प्रिंक्लर से की गई मटर में डेढ़ गुना ज्यादा उत्पादन हुआ।
- 42 किसानों को मिला मृदा प्रशस्ति पत्र
... जेडी कृषि व डीडी कृषि ने 42 किसानों को दैनिक जागरण के मृदा परीक्षण प्रशस्ति पत्र वितरित किया। कहा कि यह कार्ड किसानों के प्रगति का द्योतक है। यह प्रशस्ति पत्र उन किसानों को वितरित किया गया जिन्होंने अपनी मिट्टी का परीक्षण करा कर खेती कर रहे हैं। ये किसान रसायनिक व उर्वरक को त्याग कर जैविक व कंपोस्ट खाद का प्रयोग करके खेती कर रहे हैं या फिर मिट्टी की आवश्यकता के अनुसार उर्वरक का प्रयोग कर रहे हैं।
जिन किसानों को प्रशस्ति पत्र दिया गया, उनमें ¨चतलाल, सुनील कुमार मौर्य, जगन्नाथ ¨बद, आनंद कुमार मौर्य, विनित कुमार मौर्य, सुरेश, मन्नू, मंगरू, राधे श्याम मौर्य, दया शंकर, हरि शंकर, खजांची, हीरालाल, मिश्री लाल, रमेश, धीरज दुबे, राजेश कुमार मौर्य, सूरज प्रसाद ¨बद, उमेश चंद, लक्ष्मण, हरिदास, पुल्लू राम, अमरेश यादव, भानु प्रकाश पांडेय,लल्लू राम, उमा शंकर, पन्ना लाल, चेखुरी, देवेंद्र प्रसाद, सत्येंद्र प्रताप ¨सह, घनश्याम ¨सह, जगत नारायण ¨सह, राम किशुन ¨बद, नरेंद्र मिश्र, ननकू ¨सह, महेश कुमार मिश्र, अवधेश कुमार, दया शंकर ¨बद, रामधनी यादव, लालता प्रसाद, कैलाश नाथ आदि शामिल थे।