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कलवारी माफी में लिखी जा रही है उम्भा जैसी घटना की पटकथा

सोनभद्र जनपद के घोरावल थाना क्षेत्र अंतर्गत बीते 17 जुलाई को नरसंहार हुआ था। जिसमें कुल 11 लोगों की जान चली गई थी। ठीक उसी प्रकार जमीन के एक मामले में मड़िहान तहसील प्रशासन इस तरह से लापरवाही बरत रहा है कि कभी भी बड़ी घटना को अंजाम मिल सकता है। जिसकी पटकथा स्वंय तहसील प्रशासन लिख रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 12 Jul 2020 04:41 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jul 2020 04:41 PM (IST)
कलवारी माफी में लिखी जा रही
है उम्भा जैसी घटना की पटकथा
कलवारी माफी में लिखी जा रही है उम्भा जैसी घटना की पटकथा

जागरण संवाददाता, मड़िहान (मीरजापुर) : सोनभद्र जनपद के घोरावल थाना क्षेत्र अंतर्गत बीते 17 जुलाई को नरसंहार हुआ था। इसमें कुल 11 लोगों की जान चली गई थी। ठीक उसी प्रकार जमीन के एक मामले में मड़िहान तहसील प्रशासन इस तरह से लापरवाही बरत रहा है कि कभी भी बड़ी घटना को अंजाम मिल सकता है। इसकी पटकथा स्वयं तहसील प्रशासन लिख रहा है। इसका जीवंत उदाहरण शनिवार की दोपहर देखने को मिला जहां कलवारी माफी गांव में पुलिस -प्रशासन के पहुंचते ही लगभग तीन सौ ग्रामीणों ने पूरे प्रशासनिक अमले को घेर लिया था। हालांकि किसी प्रकार कार्रवाई का आश्वासन देकर एसडीएम शिवप्रसाद की टीम बैरंग लौट आई लेकिन ग्रामीण मानने को तैयार नहीं हुए।

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कलवारी माफी में चकबंदी के अभिलेखों में चारागाह के नाम से 668 बीघा जमीन चली आ रही है जबकि खतौनी में एक आश्रम के नाम जमीन राजस्व कर्मियों की मिलीभगत से खेल करके कर दिया गया है। तत्कालीन उप जिलाधिकारी विमल कुमार दुबे ने मौके की नजाकत को देखते हुए आश्रम के अनुयायियों को खेती-बाड़ी करने से मना कर दिया था। एसडीएम के निर्देश पर लेखपाल रवि राय ने नोटिस भी पकड़ा दिया था लेकिन जब खेती का सीजन आया तो एक बार फिर से गोलबंदी होने लगी और आश्रम के द्वारा ट्रैक्टर लेकर जोताई करने का प्रयास किया गया।

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वर्ष 2008 में हुआ था मुकदमा

फर्जी नामांतरण के मामले में तत्कालीन एसडीएम चुनार एके श्रीवास्तव, नायब तहसीलदार गिरधारी लाल व स्वामी के शिष्य विवेकानंद के खिलाफ कूटरचित, धोखाधड़ी लोक संपति क्षति निवारण अधिनियम की धारा में अपर जिलाधिकारी की जांच समिति के रिपोर्ट पर डीएम के आदेश पर सभी आरोपितों पर मुकदमा वर्ष 2008 में एसडीएम कैलाश सिंह ने दर्ज कराया था। पहले भी ग्रामीणों ने आश्रम द्वारा अनाधिकार कब्जे को लेकर जमकर विरोध किया गया था और मामले को उच्चाधिकारियों तक पहुंचाया गया। एफआइआर के बाद भी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा।

जमीनी विवादों की है भरमार

केस 1- सोनभद्र जनपद की सीमा से सटे हुए रैकरा बेलाही गांव में 360 बीघे जमीन का मामला आज तक हल नहीं हो पाया। राजस्व परिषद में मामला लंबित होने के बावजूद हर वर्ष दो पक्ष आमने-सामने हो जाते हैं। पिछले वर्ष भी लाठी-डंडे से लैस होकर एक दूसरे के आमने-सामने हो गए थे। हालांकि दो दिन थाने में चली पंचायत के बाद 180 बीघे पर ही खेती करने के लिए दोनों पक्षों से कहा गया है, शेष जमीन परती ही रहेगी।

केस नंबर -2

वहीं अमोई गांव में जहां बिना पट्टा पत्रावली के ही जमीन पर दो पक्षों का कब्जा है। एक सफेदपोश के विरोध करने पर दो दशक से रह रहे गरीब लोगों का घर उजाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ा गया। बुलडोजर तक चलवाया गया लेकिन अभी तक निश्चित हल नहीं निकल सका जिसको लेकर आएदिन प्रशासन को पसीना बहाना पड़ता है।

केस नंबर -3

कलवारी माफी स्थित एक मठ द्वारा 668 बीघा 10 विस्वा दस धूर बेशकीमती जमीन को गलत तरीके से अपने नाम करा लिया गया। इस मामले में डीएम ने इसे पूर्णतया गलत मानते हुए सभी पर एफआइआर भी कराया था लेकिन आज तक उस मामले का हल नहीं निकल सका। जबकि अधिकारी मामले से अनजान नहीं हैं फिर भी ग्रामीणों को झूठा दिलासा देते रहते हैं।

वर्जन

मौके पर जाकर मामले की जांच की गई है। दोनों पक्षों को तहसील पर बुलाया गया है, जिससे मामले का हल निकाला जा सके।

- शिव प्रसाद, एसडीएम मड़िहान।


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