मूलभूत सुविधाओं से वंचित, गुर्गी ग्राम सभा के वासी
स्थानीय ब्लाक मुख्यालय से महज पांच किमी दूर हलिया के गुर्गी ग्राम सभा की कोल, आदिवासी बस्तियों में रहने वाले ग्रामीण आजादी के बाद से आज तक मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। किसी भी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया है।
जागरण संवाददाता, हलिया (मीरजापुर) : स्थानीय ब्लाक मुख्यालय से महज पांच किमी दूर हलिया के गुर्गी ग्राम सभा की कोल, आदिवासी बस्तियों में रहने वाले ग्रामीण आजादी के बाद से अब तक मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। किसी भी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया है। बड़ौही, बरहुला, गुर्गी को मिलाकर गुर्गी पंचायत में आदिवासी बस्तियां बिखर के बसी है। आबादी बारह सौ के लगभग होगी।
आदिवासी बस्तियों के अधिकतर लोगों का आज तक आवास व शौचालय का निर्माण नहीं हो पाया है। इक्का-दुक्का लोगों को छोड़कर पात्र होने के बावजूद भी आवास शौचालय से वंचित हैं। पेयजल के लिए दूरी से पानी लाना पड़ता है। गुर्गी गांव की लीलावती पत्नी भुअर कोल के पास न तो आवास है ना ही शौचालय उन्होंने पेयजल की घोर समस्या है। वहीं रन्नो पत्नी राम अधीन तथा श्याम कली पत्नी राजेन्द्र कोल के पास भी आवास, शौचालय, व राशन कार्ड तक नहीं है। बड़ौही कोल बस्ती में शौचालय नहीं
बड़ौही कोल बस्ती में एक भी शौचालय नही हैं। सीता पत्नी फौदार ने बताया कि शौचालय तो दूर आवास तक नसीब नहीं हुआ। कौशल्या देवी ने भी अपना यही दुख बयां की। आधे-अधूरे शौचालय
गुर्गी गांव में जो शौचालय बने है वह भी आधे-अधूरे पड़े हैं। गुर्गी निवासी जुगनू कोल ने बताया कि शौचालय को चार महीने पहले आधा-अधूरा बना कर छोड़ दिया गया है। यही हाल अधिकांश घरों का है। कुछ में तो दरवाजे है तो कुछ में छत नहीं। अन्य शासकीय योजनाओं का भी लाभ नहीं
गुर्गी गांव निवासी लीलावती ने बताया कि उनके पति दिव्यांग है, इसके बावजूद भी पेंशन से वंचित हैं। गांव में बिजली के खम्भे तो हैं मगर कोल बस्ती के कुछ घरों में कनेक्शन नहीं है। यदि ऐसी समस्या है तो एडीओ पंचायत से मौके पर जाकर देखने के लिए निर्देशित करूंगा। साथ ही पात्रों को योजना का लाभ दिलाया जाएगा।
दीनदयाल, बीडीओ हलिया।