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ऋषि कपूर को कविता सुनाने के लिए गाफिल गए थे मुंबई

वह तेरा संदेश सुरक्षित मेरा यहां धरोहर है। तेरा है लो मेरे सिर पर जैसे भरा सरोवर है। या तो पता बता दे उसका जिससे ऋण भर पाऊं मैं। या तो खत देकर यह बता दे तो फिर वहां जाऊं मैं। नब्बे के दशक में ऋषि कपूर से बांद्रा मिलने पहुंचे नगर के चौक बाजार निवासी कवि सुरेश जायसवाल (गाफिल) ने उन्हें अपनी यह रचना सुनाई तो वह अपना आटोग्राफ उन्हें दिए और उन्हें अपने जन्मदिन की पार्टी में अतिथि के रूप में आमंत्रित किया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 02 May 2020 04:33 PM (IST)Updated: Sat, 02 May 2020 04:33 PM (IST)
ऋषि कपूर को कविता सुनाने 
के लिए गाफिल गए थे मुंबई
ऋषि कपूर को कविता सुनाने के लिए गाफिल गए थे मुंबई

जासं, अहरौरा (मीरजापुर) : वह तेरा संदेश सुरक्षित मेरा यहां धरोहर है। तेरा है लो मेरे सिर पर जैसे भरा सरोवर है। या तो पता बता दे उसका जिससे ऋण भर पाऊं मैं। या तो खत देकर यह बता दे तो फिर वहां जाऊं मैं। नब्बे के दशक में ऋषि कपूर से बांद्रा मिलने पहुंचे नगर के चौक बाजार निवासी कवि सुरेश जायसवाल (गाफिल) ने उन्हें अपनी यह रचना सुनाई तो वह अपना आटोग्राफ उन्हें दिए और उन्हें अपने जन्मदिन की पार्टी में अतिथि के रूप में आमंत्रित किया। उस जमाने के सुपर स्टार ऋषि कपूर से यह सम्मान पाकर आज भी भूल नहीं पाते हैं। चाकलेटी हीरो के नाम से अपनी पहचान जमाने वाले ऋषि कपूर के असामयिक मौत की खबर से वह काफी दुखी है।

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नम आंखों से सुरेश गाफिल ने बताया कि वह उनके बहुत बड़े आज भी फैन है। 1990 में वह उनसे मिलने के लिए मुंबई पहुंच गए। उनकी पत्नी नीतू सिंह के ड्राइवर की मदद से वह उनके बांद्रा स्थित आवास पर मिलने पहुंच गए। उनसे मुलाकात भी किए किया और काफी बातें भी हुई। गाफिल ने बताया कि जाते समय बनारस के पास से आया जानकर काशी के एक विद्वान पुरोहित से मिलकर उन्हें उनके तरफ से अभिवादन करने के लिए कहा था लेकिन पता सही नहीं मिलने की वजह से उनके पुरोहित से मिल नहीं पाए। जिसे वह रचना के माध्यम से उन्हें पत्र लिखा और उसे सुनाने के लिए वह फिर से मुंबई पहुंच गए। बांद्रा स्थित घर में पहुंच कर वह अपनी रचना को नीतू सिंह को सुना रहे थे। कुछ पंक्तियां सुनते ही ऋषि कपूर दौड़कर अपनी पत्नी के पास आ गए और उनके कंधे पर दोनों हाथ रखकर फिर से कविता को सुनाने के लिए सुरेश गाफिल से कहा। रचना के माध्यम से उन्होंने कहा कि काशी के विद्वान पुरोहित पंडित जी नहीं मिले कैसे ढूढूं कहां तलाशुं बिना पता नहीं मिले। सुनकर काफी खुश हुए और उनके पत्र पर ऋषि कपूर ने उन्हें आटोग्राफ दिया। जिसे वह अविस्मरणीय पल के रूप में आज भी अपने पास संजोए हुए हैं। इसके बाद उनके साथ नगर से कई चाहने वालों को उन्होंने ऋषि कपूर से भेंट कराया। सदाबाहर अभिनेता के निधन से नगर में उनके चाहने वालों में काफी मायूसी छाई है।


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