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जर्जर आवासों में जान हथेली पर लेकर रहने को विवश हैं रेलकर्मी

रेलवे ही एक ऐसा विभाग है जहां कर्मचारियों संग अधिकारियों को पूरी सुविधा के साथ सहूलियत देती है लेकिन यहां पर तो सब उल्टा ही है। रात दिन रेलवे ट्रैकों व ट्रेनों पर काम करने वाले कर्मियों को रहने के लिए आवास तो मिला है लेकिन जर्जर आवास होने के कारण उसमें रहने को विवश है। छतों से पानी टपकता है तो कईयों के आवास के अंदर प्लास्टर तक उखड़ गए है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Jun 2020 09:41 PM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2020 06:07 AM (IST)
जर्जर आवासों में जान हथेली पर
लेकर रहने को विवश हैं रेलकर्मी
जर्जर आवासों में जान हथेली पर लेकर रहने को विवश हैं रेलकर्मी

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : रेलवे ही एक ऐसा विभाग है जहां कर्मचारियों संग अधिकारियों को पूरी सुविधा के साथ सहूलियत देती है लेकिन यहां पर तो सब उल्टा ही है। रात दिन रेलवे ट्रैकों व ट्रेनों पर काम करने वाले कर्मियों को रहने के लिए आवास तो मिला है लेकिन जर्जर आवास होने के कारण उसमें रहने को विवश है। छतों से पानी टपकता है तो कईयों के आवास के अंदर प्लास्टर तक उखड़ गए है। जबकि एक वर्ष पहले रेलवे के जीएम ने आवासों में रहने वाले कर्मियों के परिवारों से मिले और आवासों को देख चिता जताई थी इसके बाद भी आज तक आवासों का मरम्मत नहीं कराया गया। इस संबंध में कई बार संबंधित विभाग के अधिकारियों को रेलकर्मियों द्वारा पत्रक भी दिया गया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

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मीरजापुर रेलवे कालोनी में कुल 150 के लगभग आवास है, इनमें से आधा से अधिक की हालत जर्जर है। इसके बाद बावजूद रेलकर्मी जान हथेली पर रखकर परिवार व बच्चों संग रहने को विवश है। यहां तक भी बारिश होने पर भी कर्मचारियों का घरेलू सामानों के अलावा, बिस्तर व अन्य सामान पानी में भीग जाता है। रेलवे आवास के ऊपर छत पर बारिश से बचने के लिए टीनेशेड लगाना था लेकिन एग्गल लगाकर छोड़ दिया गया है। स्थित यह है कि उसपर प्लास्टिक भी नहीं लगाया जा सकता है। पिछले वर्ष बारिश होने पर कालोनी में पूरा पानी भर गया था और रेल कर्मियों द्वारा डीआरएम को समस्या से अवगत कराया था। उस समय निर्देश जारी किया गया था कि अगले वर्ष बारिश शुरू होने से पहले समस्या का समाधान करा लिया जाए लेकिन हिलाहवाली के चलते अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। यह आरोप लगाते हुए नार्थ सेंटर रेलवे मेंस यूनियन के शाखा मंत्री अत्येंद्र खरवार ने कहा कि अगर जल्द ही आवास संबंधित समस्याओं का निराकरण नहीं किया गया तो रेल कर्मियों संग धरना प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे। पत्रक देने के बाद भी नहीं हुई सुनवाई

अभी कोई नाले का सफाई नहीं किया गया। जिससे तेज बारिश होने पर फिर से वही पिछले साल की तरह इस बार बारिश में जलजमाव की स्थित से रेल कर्मियों को दो चार होना पड़ेगा। सहायक मंडल अभियंता को मेंस यूनियन द्वारा बार-बार ज्ञापन दिया गया लेकिन किसी तरह का कोई कार्रवाई नहीं की गई। मेंस यूनियन के शाखा मंत्री अत्येंद्र खरवार ने आरोप लगाते हुए बताया कि ठेकेदारों को टेंडर के साथ बिल भी बिना काम किए पास हो गया। इसके के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई रेल कर्मी लाचार है और जर्जर आवासों में रहने को विवश है। निष्क्रिय आवासों में भी रहने को विवश

रेलवे कालोनी परिसर में ऐसे पंद्रह-बीस क्वार्टर है जिन्हें आइओडब्ल्यू द्वारा निष्क्रिय कर दिया गया है इसके बाद भी रेलकर्मी दूसरा कोई आवास न मिलने के कारण निष्क्रिय आवासों में जान हथेली पर लेकर रहने को विवश है। -------वर्जन

मामला संज्ञान में है और आवासों के मरम्मत के लिए तथा नाला सफाई के लिए आइओडब्ल्यू को निर्देशित किया गया है, जल्द ही समस्या का समाधान करा दिया जाएगा।

डीके भारद्धाज, सहायक मंडल अभियंता मीरजापुर।


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