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क्रिसमस पर्व की तैयारियों को दिया जा रहा अंतिम रूप

पिछले एक पखवारे से चल रहे प्रभु यीशु के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले पर्व क्रिसमस की तैयारी अब अंतिम चरण में पहुंच गई है। प्रेम व भाईचारे के प्रतीक का पर्व क्रिसमस 25 दिसंबर को धूमधाम से मनाया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Dec 2019 06:29 PM (IST)Updated: Mon, 23 Dec 2019 06:29 PM (IST)
क्रिसमस पर्व की तैयारियों को दिया जा रहा अंतिम रूप
क्रिसमस पर्व की तैयारियों को दिया जा रहा अंतिम रूप

जागरण संवाददाता, चुनार (मीरजापुर) : पिछले एक पखवारे से चल रहे प्रभु यीशु के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले पर्व क्रिसमस की तैयारी अब अंतिम चरण में पहुंच गई है। प्रेम व भाईचारे के प्रतीक का पर्व क्रिसमस 25 दिसंबर को धूमधाम से मनाया जाएगा। ईसाई धर्मावलंबियों के घरों में प्रभु के जन्मोत्सव की झांकियां सजाने का कार्य पूरे परवान पर है। वहीं नगर के दो सौ साल पुराने संत थामस चर्च परिसर में भी क्रिसमस पर्व को धूमधाम से मनाने की जोर-शोर से तैयारी चल रही हैं।

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चर्च परिसर में फादर विसेंट परेरा व सिस्टर प्रभा की देखरेख में खूबसूरत चरनी(कुटिया) का निर्माण किया गया। इस संबंध में फादर विसेंट ने बताया कि प्रभु यीशु का जन्म एक गोशाला में हुआ था। इसलिए हर वर्ष की तरह इस बार भी चरनी बनाई जा रही है। चर्च में प्रभु यीशु के दर्शन को पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को भवन के ठीक सामने क्रिसमस ट्री और गोशाला की झांकी में का दृश्य व खेत आदि की झांकी आकर्षित करेंगे। साज-सज्जा का कार्य अंतिम चरण में है। परिसर में तारा (ईश्वर का चिन्ह) बनाने का कार्य पूरा हो गया है। इसकी पौराणिक महत्व बताते हुए फादर ने बताया कि जब प्रभु यीशु का जन्म हुआ था, तब ईश्वर ने मानव जाति के लिए एक चिन्ह दिया। वह चिन्ह तारा था। इसलिए ईसाई धर्मावलंबी उनकी याद में तारा बनाते हैं। -संसार में अमन, एकता और भाईचारे की शिक्षा देने आए थे प्रभु यीशु

फादर विसेंट ने बताया कि प्रभु यीशु संसार में मानव को एक-दूसरे के साथ प्रेम, अमन, एकता व भाईचारे के साथ रहने की शिक्षा देने आए थे। वे मानव के अंदर की सभी बुराई को दूर कर उन्हें अच्छाई व भलाई का जीवन जीने का उदाहरण दे गए हैं। क्रिसमस पर गोशाला में निर्मित चरनी, तारा, गाय, भेड़, ऊंट, चरवाहे आदि सभी यीशु के जन्म के समय हुई घटना को याद दिलाती है। गोशाला में उपस्थित सभी जानवर इंसान को अपने हिसक अवगुण को छोड़कर सौंदर्यपूर्ण माहौल तैयार करने की चुनौती हर ईसाई धर्मावलंबियों को देती है। इस अवसर पर बलदेव, गुड्डन, वीरेंद्र यादव, विनोद बारा समेत अन्य लोग साज सज्जा को अंतिम रूप देने में लगे रहे।


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