बीमा कंपनी देगी पशुओं की मौत पर अब मुआवजा
कोरोना संकट के चलते लोगों की आय पर भी ब्रेक लग गया है। ऐसे में लगातार बढ़ रही मंहगाई के बीच पशुपालन काफी चुनौती भरा काम बनता जा रहा है लेकिन किसान पशुपालन के जरिए अपनी आमदनी बढ़ा सकें और इसमें आने वाली चुनौतियों से निपट सकें इसके लिए सरकार किसानों का सहयोग कर रही है।
जासं, चुनार (मीरजापुर) : कोरोना संकट के चलते लोगों की आय पर भी ब्रेक लग गया है। ऐसे में लगातार बढ़ रही मंहगाई के बीच पशुपालन काफी चुनौती भरा काम बनता जा रहा है लेकिन किसान पशुपालन के जरिए अपनी आमदनी बढ़ा सकें और इसमें आने वाली चुनौतियों से निपट सकें, इसके लिए सरकार किसानों का सहयोग कर रही है। सरकार ने अब पशुओं के लिए भी जीवन बीमा का प्रावधान कर रखा है और किसी प्रकार की पशु हानि होने पर बीमित पशु का मुआवजा किसान को बीमा कंपनी देगी। वहीं सबसे बड़ी बात यह है कि बीमा कराने के लिए कंपनी को दिए जाने वाले प्रीमियम की 75 फीसद धनराशि सरकार बीमा कंपनी को अनुदान के रूप में देगी और पशुपालक किसान को सिर्फ अपने हिस्से का 25 फीसद जमा करना होगा। चूंकि महंगाई के दौर में गाय 40 हजार और भैंस पचास हजार कीमत तक मिलती है। इसलिए सरकार ने बीमा की राशि भी यही रखी है। बीमा कराने में किसी भी तरह का नुकसान होने पर क्लेम पशुपालक को मिलेगा।
अभीतक किसानों या पशुपालकों की गाय, भैंस, बैल या अन्य छोटे जानवर दैवीय आपदा या बीमारी से मर जाते थे तो उन्हें इसे नियति मानकर संतोष करना पड़ता था। इसके अलावा कोई और रास्ता भी नहीं था। दैवीय आपदा के चलते जिन पशुओं की मौत होती थी उसमें सिर्फ तीन से पांच हजार का मुआवजा सरकार से मिलता था। वहीं पशु चोरी होने, बीमार होकर मरने की दशा में कोई मदद नहीं मिलती थी। अब सरकार जब पशुपालकों के लिए बीमा स्कीम लाई है तो उसका लाभ निश्चित रूप से पशुपालकों को मिलेगा। पहले आओ पहले पाओ की तर्ज पर होगा बीमा
विकास खंड नरायनपुर के तीन पशु चिकित्सा केंद्रों पर 21-21 पशुओं का बीमा किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। हालांकि नरायनपुर ब्लाक के 96 ग्राम पंचायतों को देखते हुए यह संख्या ऊंट के मुंह में जीरा के समान है लेकिन इसका लाभ लेने के लिए पहले आओ पहले पाओ का नियम रखा गया है। इसके लिए पशुपालक को अपने नजदीक के पशु चिकित्सा केंद्र में जाना होगा। आवेदन के बाद पशु चिकित्साधिकारी पशु को देखकर उसके बीमा की राशि तय करेंगे। बीमित राशि पर पशुपालक की सहमति मिलने पर पशु चिकित्साधिकारी बीमा फार्म भरेंगे और पशु के साथ पशुपालक की एक फोटो लेंगे। इसके बाद बीमा की रसीद देकर प्रीमियम का 25 फीसद अंश लेंगे और पशु में एक विशेष टैग लगा देंगे, तब पशु की बीमा प्रक्रिया पूर्ण हो जाएगी। पशुपालक बड़े जानवरों में गाय, भैंस, बैल, गधा, घोड़ा, खच्चर आदि का बीमा करा सकते हैं। जबकि छोटे जानवर जैसे बकरी, मुर्गी आदि का बीमा दस पशुओं को एक इकाई मानते हुए किया जाएगा। वर्जन
भैंस के बीमा में किसान अंश 750 रुपए हैं। जबकि गाय व अन्य जानवरों में यह राशि और कम है। जो भी पशुपालक या किसान अपने पशु का बीमा कराएगा। उसे तीन साल में एक बार प्रीमियम देना होगा।
------------डा. कमलेश सिंह पटेल, प्रभारी पशु चिकित्साधिकारी, चुनार