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खेतों में पराली जलाने पर चलेगा एनजीटी का डंडा

खेतों में पड़े फसलों की ठूंठ या अवशेष (पराली) जलाने पर शासन ने कठोर रूख अख्तियार किया है। एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अभिकरण) ने भूमि के पोषक तत्वों के जलने व पर्यावरण प्रदूषण को देखते हुए अब इसमें अर्थदंड का प्रावधान भी कर दिया है। इसके लिए उपजिलाधिकारी के नेतृत्व में तहसीलवार टीम बनाकर पराली जलाने के मामले की जांच की जाएगी और यदि इस प्रकार का कोई मामला पकड़ा जाता है तो उसके लिए संबंधित को अर्थ दंड से दंडित किया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Oct 2018 10:11 PM (IST)Updated: Sun, 21 Oct 2018 10:11 PM (IST)
खेतों में पराली जलाने पर 
चलेगा एनजीटी का डंडा
खेतों में पराली जलाने पर चलेगा एनजीटी का डंडा

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : खेतों में पड़े फसलों की ठूंठ या अवशेष (पराली) जलाने पर शासन ने कठोर रूख अख्तियार किया है। एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अभिकरण) ने भूमि के पोषक तत्वों के जलने व पर्यावरण प्रदूषण को देखते हुए अब इसमें अर्थदंड का प्रावधान भी कर दिया है। इसके लिए उपजिलाधिकारी के नेतृत्व में तहसीलवार टीम बनाकर पराली जलाने के मामले की जांच की जाएगी और यदि इस प्रकार का कोई मामला पकड़ा जाता है तो उसके लिए संबंधित को अर्थ दंड से दंडित किया जाएगा।

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ये है मूल समस्या

आमतौर पर किसान खेत में पड़े फसलों के अवशेष को साफ करने के लिए उसमें आग लगा देते हैं। उनका मानना है कि इससे ठूंठ तो साफ होता ही है, साथ ही उसकी राख खेत के लिए एक प्रकार से खाद का काम करती है जबकि वास्तविकता इसके ठीक विपरीत है। पराली जलाने से उनके जड़, तना व पत्तियों में उपस्थित लाभदायक पोषक तत्व जैसे कार्बन, हाइड्रोज व आक्सीजन के अतिरिक्त पाए जाने वाले नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटाश जो पौधों के बढ़ने में सहायक होते हैं, नष्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही लाभदायक कीट भी जलकर मर जाते हैं और सबसे बड़ा नुकसान कार्बन डाईआक्साइड के रूप में वायु प्रदूषण होता है। इससे मृदा ताप बढ़ता है और खेत की उर्वरा शक्ति नष्ट होती है व पशुओं के चारे पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसके लिए एसडीएम के नेतृत्व में जांच दल का गठन किया गया है जिसमें दल के सदस्य के रूप में पुलिस विभाग के सीओ स्तर के अधिकारी व कृषि विभाग के अधिकारी शामिल होंगे। ये मिलेगा दंड

- कृषि भूमि का क्षेत्रफल दो एकड़ से कम होने पर ढाई हजार रुपये प्रति घटना।

- कृषि भूमि का क्षेत्रफल् दो एकड़ से अधिक होने पर पांच एकड़ से कम होने पर पांच हजार प्रति घटना

- पांच एकड़ से अधिक होने पर 15 हजार रुपये प्रति घटना और यदि यह कार्रवाई दो बार से अधिक होती है तो संबंधित किसान को सभी सरकारी अनुदान अथवा सहायता से भी वंचित कर दिया जाएगा। वर्जन ..

पराली जलाने से बेहतर है कि उसे भूमि में ही मिला दिया जाए। इससे मिट्टी के कार्बनिक पदार्थों की वृद्धि होगी। इसके लिए किसान रीपर युक्त कंबाइन मशीन का प्रयोग कर सकते हैं। पादप अवशेषों को मिट्टी में ही मिलाना चाहिए। इसके बाद भी यदि इसकी अवहेलना होती है तो एनजीटी के निर्देशानुसार कार्रवाई होगी।

- डा. एके उपाध्याय, कृषि उप निदेशक, मीरजापुर।


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