है नमन उनको जिनके सामने बौना हिमालय : डा. विश्वास
राजीव गांधी दक्षिणी परिसर के क्रीड़ा संकुल के प्रांगण में अंतर शंकाय युवा महोत्सव दिशा 2020 के तीसरे दिन छात्र-छात्राओं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया गया। इस दौरान मुंबई से पहुंची डिजाइनर के द्वारा भी मनोहारी प्रस्तुति दी गई।
जागरण संवाददाता, मड़िहान (मीरजापुर) : राजीव गांधी दक्षिणी परिसर के क्रीड़ा संकुल के प्रांगण में अंतर शंकाय युवा महोत्सव दिशा 2020 के तीसरे दिन छात्र-छात्राओं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया गया। इस दौरान मुंबई से पहुंची डिजाइनर के द्वारा भी मनोहारी प्रस्तुति दी गई। दक्षिणी परिसर में पहुंचे प्रसिद्ध कवि डा. कुमार विश्वास ने आधी रात तक लोगों को झूमने पर विवश कर दिया। उन्होंने सर्वप्रथम कहा कि हमारे मीरजापुर के किसान का बेटा सियाचिन में माइनस 30 डिग्री सेल्सियस पर सीना तान कर तैनात रहता है सिर्फ इसलिए कि हमारा देश सुरक्षित रहे और साउथ कैंपस में यह उत्सव भी अनवरत चलता रहे।
कहा लेकिन कभी भी पुलिस वाले के गाल पर होली के त्योहार पर भी गुलाल नहीं होता क्योंकि आप के रंग चटक रहे और पुलिस वाले को कभी भी दीवाली पर दीप जलाते, मिठाई बांटते भी नहीं देखा होगा सिर्फ इसलिए कि आप घर में उजाला हो और कोई इसमे आग लगा दे। लेकिन बरेली में एक शहीद का जब पार्थिव शरीर आया तो एक सांसद द्वारा यह कह दिया गया कि यह तो वेतन लेते हैं तो वेतन तो हम सभी लेते हैं लेकिन बस फर्क इतना है कि हम सभी वेतन के लिए काम करते हैं लेकिन सेना का सिपाही वतन के लिए काम करता है।
तो करुण रस के कविता 'है नमन उनको जो इस देह को अमरत्व देकर इस जगत में सौर्य की जीवित कहानी हो गये हैं! है नमन उनको जिनके सामने बौना हिमालय जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गए हैं।'है नमन उस देहरी को जहां तुम खेले कन्हैया घर तुम्हारे परम तप की राजधानी हो गए हैं! है नमन उनको ...पर श्रोताओं के आंख नम हो गए।
आज भी शहीद के मकान मिलते है कच्चे..
उन्होंने तंज कसते हुए यह भी कहा कि आज भी सेठ साहूकारों के बंगले तो तैयार हो जाते हैं लेकिन एक शहीद का मकान आज भी कच्चा ही मिलता है। और और जब हमारे देश का जवान सीमा पर जाता है तो पत्नी और बहन का क्या हाल है उस पर उनकी यह पंक्ति'पिता जिसके रक्त ने उज्जवल किया कुलवंत माथा मां वही जो दूध से इस देश की रज तो ले आई बहन जिसने सावनों में भर लिया पतझड़ स्वयं ही हाथ ना उलझे कलाई से जो राखी खोल लाई! बेटियां जो लोरीयों में भी प्रभाती सुन रही थी पिता तुम पर गर्व है चुपचाप जाकर बोल आई।'से लोगों के आंखों मे आंसू तक ला दिया। तो वही इस देश पर निगाह उठाने वाले लोगों पर भी दिखा बोलते हुए उन्होंने कविता के माध्यम से कहा कि'हमने लौटाए सिकंदर सिर झुकाए मात खाए हमसे भिड़ते हैं वे जिनका मन धरा से भर गया है। नर्क में तुम पूछना अपने बुजुर्गों से कभी भी उनके माथे पर हमारी ठोकरों का ही बयां है।
तो मनोरंजन करते-करते उन्होंने अपने गीत के माध्यम से'मैं अपने गीत गजलों से उसे पैगाम करता हूं उसी की दी हुई दौलत उसी के नाम करता हूं हवा का काम है चलना दिए का काम है जलना वो अपना काम करती है मैं अपना काम करता हूं। असम को कोई हिदुस्तान से नहीं कर सकता अलग..
सीएए कानून पर भी उन्होंने कहा कि असम को कोई भी हिदुस्तान से अलग नहीं कर सकता यह किसी के बस की बात नहीं है। संविधान बनते हैं और संशोधन भी होते रहते हैं लेकिन सभी को यह शपथ लेनी होगी कि राष्ट्र की संपत्ति को कभी भी नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। बनारस की सड़कों पर होने वाले जाम पर भी तंज कसा और मीरजापुर के पहाड़ी तथा पठारी इलाकों में पढ़ने वाले ठंडक के बारे में भी बोल गए। कहा कि जब भारत माता सिर मांगती है तो सबसे पहला सिर उत्तर प्रदेश के लाल का ही होता है। कार्यक्रम के अंत में कलाकारों के द्वारा'देश मेरे तू जीता रहे'गाने के बोल पर लोगों को खूब रिझाया और बीएचयू प्रशासन के द्वारा डा कुमार विश्वास को स्मृति चिन्ह भी प्रदान किया गया। इस अवसर पर आचार्य प्रभारी रामादेवी निम्मान्नपल्ली, छात्र सलाहकार आरएस मिश्रा, मुख्य आरक्षाधिकारी महिपाल चौबे, नवीन कुमार आदि उपस्थित रहे।