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संगीतमयी श्रीमदभागवत कथा सुन श्रोता मंत्रमुग्ध

रोडवेज परिसर के पास निहुत महावीर मंदिर के प्रांगण में सात दिवसीय संगीतमयी श्रीमदभागवत कथा का आयोजन रविवार को किया गया है। श्रीमदभागवत कथा के दुसरे दिन लडडू गौपाल की आरती व पूजन कर कथावाचक पंडित संकटमोचन त्रिपाठी ने शुकदेव व परीक्षित मिलन, कपिल व्याख्यान, ध्रुव चरित्र और ध्रुवजी की झांकी पर प्रवचन किया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 09:39 PM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 11:25 PM (IST)
संगीतमयी श्रीमदभागवत  कथा सुन श्रोता मंत्रमुग्ध
संगीतमयी श्रीमदभागवत कथा सुन श्रोता मंत्रमुग्ध

जागरण संवाददाता, विन्ध्याचल (मीरजापुर) : रोडवेज परिसर के पास निहुत महावीर मंदिर के प्रांगण में सात दिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन रविवार को किया गया है। श्रीमदभागवत कथा के दुसरे दिन लडडू गौपाल की आरती व पूजन कर कथावाचक पंडित संकटमोचन त्रिपाठी ने शुकदेव व परीक्षित मिलन, कपिल व्याख्यान, ध्रुव चरित्र और ध्रुवजी की झांकी पर प्रवचन किया।

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कथावाचक ने पांचों पांडव और कौरव की विस्तृत कथा आकर्षक तरीके से कहा। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण सब से मिलकर दारिकापुरी जाने लगे तब कहा कि मांग लो जो मांगना है। इसपर द्रौपदी ने कहा कि मुझे कुछ नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि कल्प वृक्ष की तरह सब सौंप दूंगा। द्रौपदी ने कहा, मुझे केवल आपकी भक्ति चाहिए। युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन सहित सभी ने केवल उनकी भक्ति को मांगा। माता कुंती से पूछा तो उन्होंने कहा कि जो वह मांगेंगी वही दीजिएगा। भगवान ने कहा कि त्रिलोक की कौन से चीज है, जो वह नहीं दे सकते। कुंती ने कहा कि मुझे अपना दुख और कष्ट दे दो। कथा के दौरान तबला पर बबलू मिश्रा, बैजू पर गगन सोनी कर, पैड पर छोटू, कैसिनो पर अमन दिवेदी ने कुशल संगत किया। मंच का संचालन शिवममनी त्रिपाठी ने किया। कार्यक्रम संयोजक जयशंकर शुक्ला व श्रीराम मिश्रा रहे। रमाशंकर त्रिपाठी, मनोज शुक्ला, रामदयाल ¨सह, संदीप पाठक, अमरनाथ चौबे, अवधेश मिश्रा, विवेकानंद पांडेय, हरिशंकर पटेल आदि थे। इसके पूर्व शनिवार की सुबह 51 कलश यात्रा में महिलाएं एवं पुरुषों ने भाग लिया। कलश यात्रा निहुत महावीर से प्रारम्भ हुआ। आचार्य श्याम सुन्दर दास के निर्देशन में कलश पूजन किया। कलश यात्रा ¨वध्यधाम की गलियों में घूम कर पुन: कथा स्थल पर कलश पूजन किया गया।


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