कर्णावती की तरह प्रदेश की 19 नदियों को पुनर्जीवित करेंगे मनरेगा श्रमिक
जनपद में कर्णावती नदी को फिर से सदानीरा बनाने का प्रयास पिछले वर्ष शुरू किया गया। इसका सुखद परिणाम भी सामने आया और इस समय कर्णावती नदी में लबालब पानी बह रहा है। इसी तर्ज पर प्रदेश की 19 नदियों को पुनर्जीवित करने का ब्लूप्रिट शासन द्वारा तैयार किया जा रहा है। कोरोना की वजह से गृह जनपद लौटे प्रवासी श्रमिकों को मनरेगा के तहत नदियों को पुनर्जीवित करने के काम से जोड़ा जाएगा। इस योजना में मीरजापुर सहित प्रदेश के 39 जिले शामिल हैं जहां से यह 19 नदियां गुजरती हैं। मनरेगा के तहत जिन नदियों को पुनर्जीवित किया जाना है उनकी कुल लंबाई 3600 किलोमीटर है। यह लंबाई गंगोत्री से बंगाल की खाड़ी तक बहने वाली गंगा नदी की लंबाई दो हजार किमी से लगभग दोगुना है।
सतीश रघुवंशी, मीरजापुर
जनपद में कर्णावती नदी को फिर से सदानीरा बनाने का प्रयास पिछले वर्ष शुरू किया गया। इसका सुखद परिणाम भी सामने आया और इस समय कर्णावती नदी में लबालब पानी बह रहा है। इसी तर्ज पर प्रदेश की 19 नदियों को पुनर्जीवित करने का ब्लूप्रिट शासन द्वारा तैयार किया जा रहा है। कोरोना की वजह से गृह जनपद लौटे प्रवासी श्रमिकों को मनरेगा के तहत नदियों को पुनर्जीवित करने के काम से जोड़ा जाएगा। इस योजना में मीरजापुर सहित प्रदेश के 39 जिले शामिल हैं जहां से यह 19 नदियां गुजरती हैं।
मनरेगा के तहत जिन नदियों को पुनर्जीवित किया जाना है उनकी कुल लंबाई 3600 किलोमीटर है। यह लंबाई गंगोत्री से बंगाल की खाड़ी तक बहने वाली गंगा नदी की लंबाई दो हजार किमी से लगभग दोगुना है। जनपद में कर्णावती नदी को इस योजना के तहत पुनर्जीवित करने का सफल कार्य हो चुका है और इस योजना में फिर से कार्य किया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि योजना में मीरजापुर सहित सोनभद्र, वाराणसी, भदोही, प्रयागराज, कानपुर व कानपुर देहात, बहराइच, गोंडा, बस्ती, औरैया, कन्नौज, लखनऊ, रायबरेली, सीतापुर, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, चित्रकूट, अयोध्या सहित कुल 39 जिले शामिल हैं। इस योजना के तहत इन जिलों के 189 विकास खंड व 1952 ग्राम पंचायतों को चिन्हित किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान विभिन्न राज्यों व शहरों से आए प्रवासी श्रमिकों को नदियों को पुनर्जीवित करने के कार्य में लगाया जाएगा। जिले की कर्णावती नदी को जीवनदान देने के महाभियान का दूसरा चरण भी जल्द शुरू किया जाएगा।
इन नदियों को बनाएंगे सदानीरा
मनरेगा के तहत मीरजापुर की कर्णावती नदी की तरह ही सोनभद्र में सोन व वाराणसी की वरुणा नदी को शामिल किया गया है। साथ ही सई, पांडु, मंदाकिनी, टेढ़ी, मनोरमा, ससुर खदेड़ी, अरेल, मोराव, तमसा, नाद, बाण, काली, दधि, इशान, बूढ़ी गंगा व गोमती नदी को योजना के तहत पुनर्जीवित किया जाएगा।
प्रदेश स्तरीय समिति का गठन
इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा उच्चाधिकारियों की एक प्रदेश स्तरीय समिति का गठन किया जा चुका है। अधिकारियों का यह भी मानना है कि गांवों में प्रवासी श्रमिकों की उपलब्धता के कारण इस योजना में तेजी लाई जाएगी और जल्द ही इसका काम धरातल पर दिखाई देने लगेगा। नदियों का रास्ता होगा साफ, सिल्ट की सफाई
इस योजना के तहत मनरेगा श्रमिक मृतप्राय हो रही इन नदियों की धारा को अविरल बनाने का काम करेंगे। इसके तहत नदी में सिल्ट की सफाई, झाड़-झंखाड़ व गाद की सफाई, नदियों में बन चुके मिट्टी या बालू के टीलों की सफाई का काम होगा। इसके अलावा बहाव क्षेत्रफल के अनुसार खोदाई व चौड़ीकरण का भी काम किया जाएगा। साथ ही जहां पर जलधारा अवरुद्ध हो रही है, वहां सफाई होगी। बाक्स : विलुप्त कर्णावती जिदा हुई, मेहनत रंग लाई
छानबे ब्लाक के चितौली, कुशहा, बघेड़ा कला, विहसड़ा खुर्द, कोलाही, धौरहरा, विजयपुर, गैपुरा, भटेवरा, भाऊसिंह का पूरा सहित 19 गावों से होकर कर्णावती नदी गुजरती है। पिछले वर्ष प्रशासन द्वारा चलाए गए जल संरक्षण अभियान के तहत जिला प्रशासन सहित आम लोग भी कर्णावती नदी को पुनर्जीवित करने के लिए उमड़ पडे थे। सभी लोगों ने श्रमदान कर कर्णावती नदी की धारा को अविरल बनाने का कार्य किया। कर्णावती नदी का उदगम प्रयागराज के मेजा तहसील क्षेत्र के पहाड़ी इलाके से हुआ जो जनपद के ओझला पुल के पास आकर गंगा में मिलती है।
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वर्जन
मनरेगा के तहत 50 फीसद कार्य जल संरक्षण से ही जुड़ा होता है। कर्णावती नदी को भी मनरेगा श्रमिकों के माध्यम से ही स्वच्छ किया गया। प्रवासी श्रमिकों की उपलब्धता का फायदा इस वृहद योजना में भी निश्चित मिलेगा।
- अविनाश सिंह, सीडीओ, मीरजापुर
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मनरेगा के तहत पिछले वर्ष कर्णावती नदी की धारा अविरल करने का प्रयास हुआ और इसमें काफी सफलता मिली। यह सारी जानकारी शासन को भेजी गई है। इसी आधार पर अन्य नदियों को भी पुनर्जीवित करने की योजना बनी है।
- मो. नफीस, डीसी मनरेगा, मीरजापुर
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