शादी का जश्न फीका, कोरोना ने रखी सात फेरों की शर्त
कमलेश्वर शरण मीरजापुर शादी-विवाह की खुशियों पर लगातार दूसरे साल कोरोना की नजर ल
कमलेश्वर शरण, मीरजापुर :
शादी-विवाह की खुशियों पर लगातार दूसरे साल कोरोना की नजर लग गई है। सरकार ने भी साफ कर दिया है कि बढ़ते कोरोना संक्रमण की वजह से शादियों में 50 मेहमान शामिल होंगे। उसमें भी तीन घंटे का समय निर्धारित किया गया है। इससे शादी का मजा किरकिरा हो गया है। अप्रैल से लेकर जुलाई तक का महीना आम तौर पर मांगलिक समारोह का होता है। पिछले साल भी कोरोना की वजह से शादियां प्रभावित हुई थी। इस साल भी कोरोना ने लोगों को संकट में डाल दिया है। शादी की खुशियों पर ग्रहण लग गया है। मेहमानों पर प्रतिबंध लगने से समारोह में लोगों को वह आनंद नहीं मिल पाएगा। शादियों में धूम धड़ाका कम होने से ढोल-नगाड़ों वाली पार्टी व टेंट हाउस से लेकर डीजे वालों की बुकिग बेहद कम हो गई है। शादी की रस्मों को सूक्ष्म रूप से ही निभाया जा रहा है। शादियों की रौनक कम होने से कई कारोबारियों पर असर पड़ा है।
लाइट एंड साउंड कारोबारी सौरभ सोनकर, प्रिस सोनकर, राजन सोनकर, सोनू विश्वकर्मा का कहना है कि कोरोना के चलते कमाई बेहद कम हो गई है। कोरोना के कारण चमक-धमक का यह कारोबार अभी फीका हो गया है। आयोजनों में बड़ी संख्या में आने वाले मेहमानों का प्रबंध करने पर कमाई करने वाले कारोबारियों को कोरोना के चलते सीधा नुकसान हुआ। इस कारण इन धंधों से जुड़े लोगों की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई है। आयोजन के लिए लोग होटल का रुख करना बेहतर समझ रहे हैं। वहां पर सब कुछ तैयार मिलता है। ऐसे में उम्मीद है कि समय के साथ यह अंधेरी रात कट जाएगी। नई सुबह आएगी और फिर से शादियां व कार्यक्रम पूरी सजावट के साथ होने लगेंगे। शादियों और कार्यक्रमों के दोबारा पूरे चरम से शुरू होने का इंतजार है। शारीरिक दूरी के साथ परोसा जा रहा भोजन कोरोना के कारण कैटरिग के तरीके में भी बदलाव आया है। खाना पकाने से लेकर परोसने तक के तरीकों में बदलाव लाए गए हैं। ग्लव्स व मास्क के साथ खाना परोसा जाता है। खाना पकाने के दौरान साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। वहीं खाना परोसते हुए उचित शारीरिक दूरी के नियमों का पालन किया जा रहा है। मेहमानों की संख्या पर निर्भर है कारोबार
हलवाई अवधेश मोदनवाल ने बताया कि शादियों में चमक-दमक और रौनक जमाने के लिए किए गए प्रावधान महमानों की संख्या पर निर्भर करते हैं। जितने कम लोग होंगे, उतनी ही डेकोरेशन कम होगी। खाने के लिए भी आर्डर कम आएगा। अब जब मेहमानों की संख्या सीमित की गई है तो कारोबार भी सीमित हो गया है। साथ ही कोरोना कर्फ्यू के कारण लोगों ने भी मंदी की मार झेली। इसलिए स्वाभाविक है कि शादी विवाह जैसे आयोजनों में लोग कम से कम व्यवस्थाएं कर रहे हैं, ताकि उन पर अधिक आर्थिक बोझ न पड़े।