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कर्तव्य की राह में थामे ममता की डोर, निभा रहीं जिम्मेदारी

वैश्विक कोरोना संकट के समय फर्ज के साथ साथ ममता की डोर भी दोनों जिम्मेदारी निभा रही है तीन वर्षीय पुत्री की मां कोरोना योद्धा महिला चिकित्सक। कहती है संकट का समय है यह भी गुजर ही जाएगा। बस इसी सोच के साथ जी जान से अपने कर्तव्य को निभाने में जुटी हुई हैं डॉ. ऋचा शुक्ला।

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Jun 2020 06:12 PM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2020 06:12 PM (IST)
कर्तव्य की राह में थामे ममता 
की डोर, निभा रहीं जिम्मेदारी
कर्तव्य की राह में थामे ममता की डोर, निभा रहीं जिम्मेदारी

जागरण संवाददाता, लालगंज (मीरजापुर) : वैश्विक कोरोना संकट के समय फर्ज के साथ साथ ममता की डोर भी दोनों जिम्मेदारी निभा रही है तीन वर्षीय पुत्री की मां कोरोना योद्धा महिला चिकित्सक। कहती है संकट का समय है, यह भी गुजर ही जाएगा। बस इसी सोच के साथ जी जान से अपने कर्तव्य को निभाने में जुटी हुई हैं डॉ. ऋचा शुक्ला। चार सालों से सरकारी सेवा में डा. ऋचा शुक्ला वर्तमान में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लालगंज पर तैनात हैं। ये चार सालों से बतौर सरकारी चिकित्सक सेवारत हैं तथा वर्तमान में ग्रामीण अंचल में कोरोना संक्रमण को लेकर न सिर्फ ग्रामीणों को जागरूक करने में जुटी हैं बल्कि अन्य महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां भी निभा रही हैं।

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डा. ऋचा शुक्ला अस्पताल में तीन वर्षीय पुत्री के साथ ड्यूटी संभालते हुए कोरोना संदिग्धों की स्कैंनिग को लेकर भी कर्तव्यनिष्ठा से अपना फर्ज निभा रही हैं। डॉ. शुक्ला बताती है कि कोरोना की दस्तक के साथ ही उन्हें स्पष्ट हो गया था कि अब लगातार ड्यूटी करनी है। संकट के समय उन्हें बतौर चिकित्सक अपना शत-प्रतिशत योगदान राष्ट्र रक्षा के लिए देना है। कर्तव्य निभाने के लिए उन्हें अपनी मासूम बेटी को साथ में रखना पड़ रहा है। कोरोना संकट के साथ ही उन्होंने अपनी तीन साल की बेटी के भविष्य को संवारने की जिम्मेदारी है। बताया कि मुझे अस्पताल में अपनी ड्यूटी देनी है और संक्रमण बच्चे तक न पहुंच जाए इसके सुरक्षा का विशेष ध्यान रखना पड़ रहा है। मासूम बच्ची की जिम्मेदारी के साथ कर्तव्य निर्वहन का भी बोध हैं लेकिन राष्ट्रसेवा का मौका अब आया है जो बार-बार नहीं आता। हम अपनी कर्तव्यनिष्ठा से पीछे पैर हटाने वालों में नहीं है। पूरे ड्यूटी के समय तीन वर्षीय मासूम बेटी चिकित्सक मां के बगल में बैठकर देखती रहती है। ऐसे वातावरण में मासूम बेटी अपनी मां के साथ बैठकर मां के दायित्व को नन्हीं आखों से टुकुर-टुकुर देखती रहती है।


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