जीवन दायिनी पौधों को लगा मनाया वन महोत्सव
धरा के श्रृंगार पौधों का तहसील परिसर में प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा लगाकर वन महोत्सव सप्ताह मनाया गया। शुक्रवार को एसडीएम शिवप्रसाद द्वारा पाकर के पौधे को लगाकर उसके महत्व के बारे में भी विस्तार से बताया गया तो वहीं पीसीएस अधिकारी अमित शुक्ला के द्वारा बालम खीरा के पौधे को लगाकर उसे बड़ा होने तक देखभाल की जिम्मेदारी ली गई।
जासं, मड़िहान (मीरजापुर) : धरा के श्रृंगार पौधों का तहसील परिसर में प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा लगाकर वन महोत्सव सप्ताह मनाया गया। शुक्रवार को एसडीएम शिवप्रसाद द्वारा पाकर के पौधे को लगाकर उसके महत्व के बारे में भी विस्तार से बताया गया तो वहीं पीसीएस अधिकारी अमित शुक्ला के द्वारा बालम खीरा के पौधे को लगाकर उसे बड़ा होने तक देखभाल की जिम्मेदारी ली गई। इसी प्रकार तहसीलदार ओमप्रकाश पांडेय ने बरगद तथा वन क्षेत्राधिकारी प्रदीप कुमार मिश्र नें महुआ का पौधारोपड़ किया। पौधों के महत्व
अधिकारियों ने पेड़ पौधों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि कुछ पौधों के हमारे जीवन में विशेष महत्व है। यह पौधे वातावरण से हानिकारक कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके हमको आक्सीजन प्रदान करते हैं जो जीवनदायिनी साबित होती हैं। जानकारों की माने तो बरगद का वृक्ष त्रिमूर्ति का प्रतीक है। इसकी छाल में विष्णु, जड़ में ब्रह्मा तथा शाखाओं में शिव का वास माना जाता है। जिस प्रकार पीपल को विष्णु का प्रतीक माना जाता है उसी प्रकार बरगद को शिवजी माना जाता है। वही बालम खीरा पूर्ण रूप से औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। बालम खीरा का प्रयोग मधुमेह, पेचिश निमोनिया, गुर्दे की पथरी, त्वचा रोग गठिया, दांत दर्द, सूखी खांसी तथा जोड़ों के दर्द के लिए बहुत ही लाभकारी है। इतना ही नहीं यह पेट के लिए तो रामबाण औषधि भी कही जाती है।