बारिश न होने से कम हुआ गंगा का जलस्तर
जिले में बारिश न होने से किसानों के चेहरे पर मायूसी छा रही है। वहीं गर्मी व उमस की वजह से आम लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। धान की रोपाई लगभग पूरी हो चुकी है और अब यूरिया डालने का समय है। इसके लिए भी खेत भरे होने चाहिए लेकिन खेतों में दरार पड़ रही है जिसने किसानों के चेहरे पर शिकन ला दिया है।
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : जिले में बारिश न होने से किसानों के चेहरे पर मायूसी छा रही है। वहीं गर्मी व उमस की वजह से आम लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। धान की रोपाई लगभग पूरी हो चुकी है और अब यूरिया डालने का समय है। इसके लिए भी खेत भरे होने चाहिए लेकिन खेतों में दरार पड़ रही है जिसने किसानों के चेहरे पर शिकन ला दिया है।
लगातार बारिश न होने की वजह से सोमवार को दोपहर में गंगा का जलस्तर 68.240 मीटर रिकार्ड किया गया। जो रविवार को 70.380 मीटर रहा। जबकि सोमवार शाम 4:30 बजे जलस्तर गिरकर 68 मीटर से नीचे की ओर खिसकता दिखा। पानी घटता देख प्रशासन ने सोमवार को गंगा के तटवर्ती इलाके तिलठी, मझिगवां, विध्याचल, बबुरा, सहित अलग-अलग दर्जन भर जगहों का निरीक्षण किया व जलस्तर का जायजा लिया गया। हालांकि बचाव के लिए मवेशियों को ऊंचे स्थानों पर बांधने की सलाह दी गई। अपर जिलाधिकारी यूपी सिंह ने बताया कि अभी बाढ़ का खतरा बिलकुल नहीं है और गंगा खतरे के निशान से काफी नीचे बह रही हैं। बारिश न होने की वजह से सभी क्षेत्रों में किसानों के चेहरे गिर गए हैं।
इन क्षेत्रों में कम हुआ पानी
गंगा का जलस्तर तिलठी, नेवढि़यां, बरैनी, मवैया सहित चुनार तहसील के दर्जनों गांव के पास कम हो गया है। इन क्षेत्रों पर निगरानी रखने के लिए अलग-अलग स्थानों पर बाढ़ राहत चौकियां बनाई गई हैं। जहां से हर घंटे की अपडेट प्रशासन को मिल रही है। बाढ़ चौकियों द्वारा नाव संचालन, मछली पकड़ने व स्नान करने वालों पर भी नजर रखी जा रही है। धान की फसल होगी प्रभावित
सोमवार को भीषण गर्मी की वजह से लोग पसीने से तर-बतर नजर आए। धान की फसल रोप चुके किसानों ने कहा कि सावन में इतनी गर्मी पहली बार पड़ रही है। खेतों में दरार हो गई है। सिचाई न होने की वजह से धान की फसल अब सूखना शुरू हो गई है। किसानों की चिता देखकर व्यापारी भी कहने लगे हैं कि बारिश न होने से महंगाई बढ़ेगी।
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